सुशांत सिंह राजपूत केस की जांच CBI को सौंपे जाने पर शरद पवार ने कसा तंज, कहा- “आशा है इस जांच के परिणाम डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की जांच जैसे न हो”

0

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (19 अगस्त) को दिवंगत बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की जांच का जिम्मा केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को सौंप दिया। इस मामले में महाराष्ट्र सरकार में शामिल एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि, उन्हें यकीन है कि महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सम्मान करेगी और जांच में पूरी तरह से सहयोग करेगी।

सुशांत सिंह राजपूत

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने ट्वीट कह कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत सिंह राजपूत जांच प्रक्रिया CBI को हस्तांतरित करने का आदेश दिया है। मुझे यकीन है कि महाराष्ट्र सरकार इस निर्णय का सम्मान करेगी और जांच में पूरी तरह से सहयोग करेगी।”

शरद पवार ने साथ ही सुशांत सिंह राजपूत केस की जांच सीबीआई से कराने के ऊपर तंज भी कसा है। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, “मुझे आशा है, इस जांच के परिणाम डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की जांच जैसे न हो। 2015 में CBI द्वारा शुरू की गई डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्या की जांच का अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है।”

शरद पवार ने यह ट्वीट महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक कार्याध्यक्ष डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की मौत की बरसी पर किया है। आज उनकी मौत को सात साल पूरे हो गए। शरद पवार ने डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या केस को याद करते हुए कहा कि इस जांच का अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है। बता दें कि, महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर की हत्या 20 अगस्त 2013 को कर दी गई थी।

उल्लेखनीय है कि, सुशांत का शव 14 जून को उसके मुंबई में बांद्रा स्थित उनके फ्लैट से बरामद हुआ था। अभिनेता के मौत की ख़बर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। उनकी मौत की खबर सुनकर हर कोई हैरान है, किसी को अंदाजा नहीं था कि फिल्म जगत का एक ऐसा कलाकार जिसने इतने थोड़े से वक्त में इतना मुकाम हासिल किया है वो कुछ ऐसा कदम उठा सकता है।

Previous articleमध्य प्रदेश: बेटे को परीक्षा दिलाने के लिए मजदूर पिता ने चलाई 105 किलोमीटर साइकिल
Next articleRebellion grows in Facebook global team against lobbyist executive Ankhi Das for her support to Islamophobia