उत्तर प्रदेश: आगरा में ठाकुरों ने चिता से हटवाया दलित महिला का शव, शमशान घाट में नहीं होने दिया अंतिम संस्कार

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बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने मंगलवार (28 जुलाई) को आगरा जिले में स्थित एक गांव में अंतिम संस्कार की चिता से एक महिला के शव को निकालने के लिए दलित समुदाय के परिवार के सदस्यों को मजबूर करने वाले दोषियों के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच और कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

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मायावती ने अपने ट्वीट में लिखा, “उत्तर प्रदेश में आगरा के पास एक दलित महिला का शव वहां जातिवादी मानसिकता रखने वाले उच्च वर्गों के लोगों ने इसलिए चिता से हटा दिया, क्योंकि वह शमशान-घाट उच्च वर्गों का था, जो यह अति-शर्मनाक व अति-निन्दनीय भी है। इस जातिवादी घृणित मामले की यूपी सरकार द्वारा उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए तथा दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए, ताकि प्रदेश में ऐसी घटना की फिर से पुनरावृति ना हो सके, बीएसपी की यह पुरजोर मांग है।”

साथ ही उन्होंने अपने अगले ट्वीट में लिखा, “साथ ही, मध्य प्रदेश के दलित परिवार में जन्मे दिल्ली के एक डाक्टर की कोरोना से हुई मौत अति-दुःखद। दिल्ली सरकार को भी अपनी जातिवादी मानसिकता को त्यागकर उसके परिवार की पूरी आर्थिक मदद जरूर करनी चाहिए, जिन्होंने कर्जा लेकर उसे डाक्टरी की पढ़ाई कराई।”

दरअसल, यह पूरा मामला ककरपुरा गांव से संबंधित है, जहां 25 वर्षीय पूजा की 19 जुलाई को मौत हो गई थी। उनके पति ने शिकायत की कि उन्हें उच्च जाति के सदस्यों द्वारा शव का अंतिम संस्कार नहीं करने दिया गया।

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुतचाबिक मृतक के पति राहुल बजनिया ने कहा, “मेरी पत्नी पूजा का 19 जुलाई को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया और 20 जुलाई को दाह संस्कार के लिए ले जाया गया। गांव में लोगों को कोई आपत्ति नहीं थी, लेकिन उच्च जाति समुदाय के आधा दर्जन सदस्य आए और हमारे द्वारा दाह संस्कार करने पर आपत्ति जताई।” राहुल ने कहा, “हमने चिता तैयार कर ली थी, लेकिन उसके बाद भी उच्च जाति के सदस्यों ने शव को लगभग चार किलोमीटर दूर नगला लाल दास के गांव ले जाने के लिए हमें मजबूर किया गया, जहां अंत में दाह संस्कार किया गया।”

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मृतक पूजा नट समुदाय से थीं और सवर्ण समुदाय के लोगों ने उनके शव को चार किलोमीटर दूर दलितों के लिए बनी श्मशान भूमि पर जलाने के लिए मजबूर किया। राहुल ने कहा, “हमारे समुदाय के अंतिम संस्कार के लिए निर्धारित श्मशान भूमि पर एक ब्राह्मण ने कब्जा कर लिया है। इसलिए हमने पूजा का अंतिम संस्कार उस जमीन पर करने का फैसला किया जहां बाकी लोग करते हैं। हमने चिता तैयार की और जैसे ही मेरा चार साल का मेरा बेटा चिता को आग देने वाला था वैसे ही ठाकुर लोगों का एक समूह आ गया। उन्होंने हमसे अंतिम संस्कार रोकने के लिए कहा।”

पुलिस अधीक्षक (पश्चिम) रवि कुमार ने कहा कि इस संबंध में कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई। बाद में इस घटना को स्थानीय लोगों ने सोशल मीडिया पर उजागर किया। पुलिस अधिकारी ने कहा कि, “हमें कोई शिकायत नहीं मिली है, लेकिन अछनेरा सर्कल के सर्कल अधिकारी को इस मामले के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए कार्य सौंपा गया है।” पुलिस अधीक्षक ने कहा कि जांचे के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएंगी।

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