उत्तर पूर्वी दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) को लेकर भड़की साम्प्रदायिक हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 34 पर पहुंच गई है। उत्तरपूर्वी दिल्ली के मुस्तफाबाद इलाके में शारीरिक रूप से अक्षम फिरोज अख्तर जब मस्जिद में नमाज पढ़ रहे थे तो वहां घुसी भीड़ ने डंडों से उनकी बेरहमी से पिटाई की। लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल में भर्ती 42 वर्षीय दर्जी अख्तर को सिर, कमर और कंधे में गंभीर चोटें आई हैं। अख्तर के साथ पांच साल पहले सड़क दुर्घटना हुई थी और उसके बाद से वह ठीक तरीके से चल नहीं पाते थे।
समाचार एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, घटना को याद करते हुए उनकी पत्नी संजीदा ने बताया कि उनके शौहर और 20 वर्षीय बेटा दानिश इलाके के अन्य लोगों के साथ मंगलवार को प्रदर्शन स्थल पर गए थे ताकि नजदीक के इलाके में धरने पर बैठी महिलाओं की रक्षा कर सकें। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा बेटा कुछ देर बाद लौट आया लेकिन मेरे शौहर वहीं थे। जैसे ही मुझे पथराव और गोलीबारी की घटनाओं का पता चला तो मैंने अपने पति को फोन किया और उसने लौटने के लिए कहा क्योंकि वह किसी आपात स्थिति में भाग नहीं सकते थे।’’
संजीदा ने कहा कि उनके शौहर नजदीक की एक मस्जिद में भागे और जब वह नमाज पढ़ रहे थे तो भीड़ घुस गई तथा लाठियों से उनकी तथा अन्य लोगों की पिटाई की तथा उन्हें घसीट कर बाहर ले आई। इसके कुछ देर बाद संजीदा को किसी अनजान व्यक्ति का फोन आया जिसने उन्हें उनके शौहर के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं बहुत डरी हुई थी और मैंने फोन करने वाले की बातों पर भरोसा नहीं किया।’’ फोन करने वाले व्यक्ति ने बताया कि उसने अख्तर को प्राथमिकी उपचार दे दिया है और वह अख्तर को लेने उसके घर आ जाए। उन्होंने कहा, ‘‘बाद में उसने मेरे पति से बात कराई और उन्होंने कहा कि वह घर लौटने में सक्षम नहीं हैं।’’
फोन करने वाले व्यक्ति ने संजीदा को बताया कि उन्होंने अख्तर को अल हिंद अस्पताल, मुस्तफाबाद में भर्ती करा दिया है जहां से वह अपने दो बेटों के साथ उन्हें एलएनजेपी ले गई। संजीदा ने कहा, ‘‘जामिया में रहने वाली मेरी बहन की मदद से एम्बुलेंस की व्यवस्था हुई और पुलिस की सहायता से हम भजनपुरा से करीब देर रात करीब ढाई बजे एनएलजेपी पहुंचे।’’ उन्होंने कहा कि रास्ते में सिग्नेचर ब्रिज के समीप एम्बुलेंस पर पथराव भी किया गया।
नैनीताल निवासी अमर जहां दो दिन पहले अपनी बेटी का एलएनजेपी में इलाज कराने के लिए वजीराबाद में अपने भाई के घर आई थी। जहां ने कहा, ‘‘स्थिति बहुत तनावपूर्ण है। हम पूरी रात नहीं सो सकें क्योंकि हमें डर था कि कोई हम पर हमला कर देगा। मुझे किसी तरह वैन मिली और आज मैं अपनी बेटी को इलाज के लिए लेकर आआ। मुझे घर लौटने पर सुरक्षित महसूस नहीं हो रहा है।’’
गौरतलब है कि, उत्तर पूर्वी दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) को लेकर भड़की साम्प्रदायिक हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 34 पर पहुंच गई है। कई इलाकों में भड़की हिंसा में अब तक 56 पुलिसकर्मियों समेत करीब 200 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। दिल्ली हिंसा का मुद्दा देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खूब चर्चा में है।
बता दें कि, बीते दिन राष्ट्रीय राजधानी के उत्तरपूर्वी इलाके में चांदबाग और भजनपुरा सहित कई क्षेत्रों में हिंसा फैली थी। इस दौरान पथराव किया गया, दुकानों को आग लगाई गई। दंगाइयों ने गोकलपुरी में दो दमकल वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया था। भीड़ भड़काऊ नारे लगा रही थी और मौजपुर और अन्य स्थानों पर अपने रास्ते में आने वाले फल की गाड़ियों, रिक्शा और अन्य चीजों को आग लगा दी। पुलिस ने दंगाइयों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।