भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने जनता दल यूनाइटेड (JDU) से निष्कासित देश के जाने-माने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पर करारा हमला बोलते हुए मंगलवार को सवाल किया कि 2014 में नरेंद्र मोदी की जीत के लिए काम करने का डंका पीटने वाले व्यक्ति को बताना चाहिए उस वक्त मोदी और भाजपा उसे गोडसेवादी क्यों नहीं लगे?
भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने ट्वीट किया है, ”इंवेट मैनेजमेंट करने वालों की अपनी कोई विचारधारा नहीं होती। लेकिन वे अपने प्रायोजक की विचारधारा और भाषा को तुरंत अपनाने में माहिर होते हैं। जनता देख रही है कि चुनाव करीब आने पर किसको अचानक किसमें गोडसे के विचारों की छाया दिखने लगी और कौन दूध का धुला सेक्युलर गांधीवादी लगने लगा है।’’
इंवेट मैनेजमेंट करने वालों की अपनी कोई विचारधारा नहीं होती, लेकिन वे अपने प्रायोजक की विचारधारा और भाषा तुरंत अपनाने में माहिर होते हैं।
जनता देख रही है कि चुनाव करीब आने पर किसको अचानक किसमें गोडसे के विचारों की छाया दिखने लगी और कौन दूध का धुला सेक्युलर गांधीवादी लगने लगा। pic.twitter.com/E4ljl1JdPP
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) February 18, 2020
सुशील मोदी ने एक अन्य ट्वीट कर कहा, “बिहार में चंद महीनों बाद चुनाव होने को है, इसलिए हर कोई अभी से अपनी तैयारी कर रहा है और साथ ही अधिकतम लाभ या सफलता को ध्यान में रखकर बयान दे रहा है। सरकार अपने पांच साल के काम जनता के सामने रख रही है। जो बेरोजगार रहे, वे रथ यात्रा निकालकर अपनी नाकामी पर पर्दा डालना चाहते हैं और जो इवेंट मैनेजमेंट और स्लोगन राइटिंग का काम करते थे, वे नया ठेका पाने में लग गए हैं।”
बिहार में चंद महीनों बाद चुनाव होने को है, इसलिए हर कोई अभी से अपनी तैयारी कर रहा है और अधिकतम लाभ या सफलता को ध्यान में रख कर बयान दे रहा है।
सरकार अपने पांच साल के काम जनता के सामने रख रही है। जो बेरोजगार रहे, वे रथ यात्रा निकाल कर अपनी नाकामी पर पर्दा डालना चाहते हैं और…. pic.twitter.com/FZnRSrdKQW
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) February 18, 2020
बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार पर किशोर किशोर की टिप्पणी को लेकर सुशील ने कहा, ”अजीब पाखंड है कि कोई एक व्यक्ति को पितातुल्य बताये और फिर उसी पिता के लिए ‘पिछलग्गू’ जैसा घटिया शब्द चुने।’’ उन्होंने किशोर से पूछा, ”जो व्यक्ति 2014 में नरेंद्र मोदी की जीत के लिए काम करने का डंका पीट चुका हो, उसे बताना चाहिए तब मोदी और भाजपा उसे गोडसेवादी क्यों नहीं लगे?”
सुशील ने पूछा कि पिछले ढाई साल से नीतीश कुमार भाजपा के साथ हैं, लेकिन चुनाव से आठ महीने पहले वह अचानक गोडसेवादी क्यों लगने लगे? वहीं बिहार विधान परिषद में कांग्रेस सदस्य प्रेम चंद्र मिश्र ने कहा कि किशोर किशोर को राजद-कांग्रेस गठबंधन से हाथ मिलाकर अपनी प्रतिभा का सही इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने पूर्व भी हमारे साथ काम किया है इसलिए कोई समस्या नहीं होगी। नीतीश जब महागठबंधन (जदयू, राजद और कांग्रेस) में शामिल थे तब किशोर ने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में उनके लिए काम किया था।
राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि किशोर को अब पूरी ईमानदारी से राजग विरोधी शक्तियों से जुड़ना चाहिए, ताकि भाजपा के अगुवाई वाले इस गठबंधन को राज्य में सत्ता से बाहर किया जा सके। महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव माधव आनंद ने कहा कि किशोर ने हमारे दल के नेता उपेंद्र कुशवाहा की राज्य में बेहतर शिक्षा सुविधाओं की मांग दोहरायी है। जब हमारे विचार एक हैं तो हाथ नहीं मिलाने की कोई वजह नहीं है। किशोर को महागठबंधन में शामिल होने पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनका खुले हाथों से स्वागत किया जाएगा।
महागठबंधन में शामिल हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (से०) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम माँझी ने प्रशांत किशोर को बिहार के राजनीतिक भविष्य का चिंता कर सूबे के विकास को लेकर एक सजग नागरिक बताया है। जीतन राम माँझी ने कहा कि बिहार के विकास के लिए अगर किशोर महागठबंधन के साथ आते हैं तो हम उनका स्वागत करेंगे।
बता दें कि, JDU से निकाले जाने के बाद प्रशांत किशोर मंगलवार (18 फरवरी) को पटना में मीडिया से पहली बार मुखातिब हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि नीतीश जी से मेरे अच्छे संबंध हैं। मेरे मन में उनके लिए अपार सम्मान है। मैं उनके फैसले पर सवाल नहीं उठाऊंगा। इस दौरान प्रशांत किशोर ने नीतीश के भाजपा के साथ गठबंधन पर सवाल उठाए। प्रशांत किशोर ने ‘बात बिहार की’ नाम से कैंपेन की शुरू करने का ऐलान किया। (इंपुट: भाषा के साथ)