सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्याकांड मामले के गुनहगार पवन गुप्ता के घटना के दिन नाबालिग होने की उसकी याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की विशेष खंडपीठ दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ पवन की अपील पर ये फैसला सुनाया।
पवन की ओर से अधिवक्ता एपी सिंह ने दलील दी, जबकि अभियोजन पक्ष की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपना पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान पीठ में शामिल तीनों न्यायाधीशों ने पवन के वकील से कई अहम सवाल किए। पवन ने हाई कोर्ट के गत 19 दिसंबर के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसने घटना के वक्त उसके नाबालिग होने की दलील खारिज कर दी थी।
पवन ने अपनी याचिका में कहा था कि 16 दिसंबर, 2012 को निर्भया के साथ हुई हैवानियत के दिन वह नाबालिग था। याचिका में कहा गया था कि उसने इस बाबत हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था, लेकिन वहां से उसे राहत नहीं मिली थी और याचिका खारिज कर दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट से दोषी पवन की याचिका खारिज होने पर निर्भया की मां आशा देवी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक उन्होंने कहा कि, “फांसी को टालने की उनकी चाल खारिज कर दी गई। मुझे उसी दिन तसल्ली मिलेगी, जब 1 फरवरी को उन्हें फांसी दे दी जाएगी। जिस तरह वे एक के बाद एक इसमें देरी कर रहे हैं, उन्हें एक-एक कर फांसी देनी चाहिए, ताकि उन्हें समझ आ जाए कि कानून से खिलवाड़ का अर्थ क्या होता है।”
Asha Devi, 2012 Delhi gang rape victim's mother: Their tactic to delay hanging has been rejected.I'll be satisfied only when they're hanged on Feb 1.Just like they're delaying it one after other, they must be hanged one by one so that they understand what it means to toy with law https://t.co/TrMRDOEIHf pic.twitter.com/wljyGjIBmb
— ANI (@ANI) January 20, 2020