पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त के बाद अब सोनिया गांधी ने केंद्र पर बोला हमला, बोलीं- ‘RTI कानून को खत्म करना चाहती है मोदी सरकार, हर नागरिक होगा कमजोर’

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सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून में प्रस्तावित संशोधन को लेकर पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु द्वारा आलोचना किए जाने के बाद अब कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने आरटीआई कानून में संशोधन के प्रयासों की आलोचना की है। उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा है कि उनकी मंशा आरटीआई को कमजोर करने की है।

लोकसभा में सूचना का अधिकार कानून संशोधन विधेयक पारित होने की पृष्ठभूमि में कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि सरकार इस संशोधन के माध्यम से आरटीआई कानून को खत्म करना चाहती है जिससे देश का हर नागरिक कमजोर होगा। सोनिया ने एक बयान में कहा, ‘यह बहुत चिंता का विषय है कि केंद्र सरकार ऐतिहासिक सूचना का अधिकार कानून-2005 को पूरी तरह से खत्म करने पर उतारु है।’

उन्होंने कहा, ‘इस कानून को व्यापक विचार-विमर्श के बाद बनाया है और संसद ने इसे सर्वसम्मति से पारित किया। अब यह खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है।’ संप्रग प्रमुख ने कहा, ‘पिछले कई वर्ष में हमारे देश के 60 लाख से अधिक नागरिकों ने आरटीआई के उपयोग किया और प्रशासन में सभी स्तरों पर पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाने में मदद की। इसका नतीजा यह हुआ कि हमारे लोकतंत्र की बुनियाद मजबूत हुई।’

गांधी ने आगे कहा, ‘आरटीआई का सक्रिय रूप से इस्तेमाल किये जाने से हमारे समाज के कमजोर तबकों को बहुत फायदा हुआ है।” सोनिया ने दावा किया, ‘यह स्पष्ट है कि मौजूदा सरकार आटीआई को बकवास मानती है और उस केन्द्रीय सूचना आयोग के दर्जे एवं स्वतंत्रता को खत्म करना चाहती है जिसे केंद्रीय निर्वाचन आयोग एवं केंद्रीय सतर्कता आयोग के बराबर रखा गया था।’

उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार अपने मकसद को हासिल करने के लिए भले ही विधायी बहुमत का इस्तेमाल कर ले, लेकिन इस प्रक्रिया में देश के हर नागरिक को कमजोर करेगी।” गौरतलब है कि लोकसभा ने सोमवार को विपक्ष के कड़े विरोध के बीच सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी प्रदान कर दी।

श्रीधर आचार्युलु ने सांसदों से की संशोधन को खारिज करने की अपील

सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून में प्रस्तावित संशोधन को केंद्रीय सूचना आयोग की पीठ में ‘छुरा घोंपना’ और इस कानून पर ‘घातक प्रहार’ करार देते हुए पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने सांसदों से इन बदलावों को अस्वीकार करने की अपील की है। कई हाई प्रोफाइल मामलों में अपने पारदर्शी समर्थक आदेशों के लिए चर्चित पूर्व सूचना आयुक्त ने कहा है कि प्रस्तावित परिवर्तन सूचना आयोग की स्वायत्तता को ‘गंभीर रूप से कमजोर’ कर देंगे।

मशहूर विधि प्रोफेसर आचार्युलु ने कहा कि इस गलत कदम से सूचना आयुक्त कोई भी खुलासा आदेश जारी करने को लेकर नख-दंत विहीन हो जाएंगे और वे सूचना के अधिकार कानून के उद्देश्यों को अमलीजामा नहीं पहना पाएंगे। उन्होंने सांसदों को पत्र लिखकर कहा, ‘‘यदि सांसद इस विधेयक को मंजूरी दे देते हैं तो राज्य और केंद्र सरकार में सूचना आयुक्त वरिष्ठ बाबुओं के महज अनुलग्नक या पिछलग्गू रह जाएंगे। मैं लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों से इसका विरोध करने और यह सुनिश्चित करने की अपील करता हूं कि यह खारिज हो जाए।’’

प्रस्तावित विधयेक को कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को लोकसभा में पेश किया था। आचार्युलू ने ही दिल्ली विश्वविद्यालय को 1978 बैच (जिस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्नातक किया था) के बीए पास के विद्यार्थियों के अकादमिक रिकॉर्ड का खुलासा करने और पारदर्शिता पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर आरबीआई गवर्नर को तलब करने का आदेश जारी किया था।

संशोधन को लेकर बवाल

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में सूचना अधिकार संशोधन बिल पेश किया है जिसमें मुख्य सूचना आयुक्तों और सूचना आयुक्तों के कार्यकाल से लेकर उनके वेतन और सेवा शर्तें निर्धारित करने का फैसला केंद्र ने अपने हाथ में रखने का प्रस्ताव रखा है। सोमवार को लोकसभा में इसको बिल को मंजूरी मिल गई। इस संशोधन बिल का संसद और इसके बाहर विपक्ष ने कड़ा विरोध किया है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और मानव अधिकार संस्थाओं ने सोमवार को दिल्ली में कड़ा विरोध प्रदर्शन किया।

इस संशोधन को इस बिल की मूल भावना को मारने जैसा बताया गया और विपक्ष ने कहा कि यह पारदर्शिता पैनल की स्वतंत्रता पर हमला है। विपक्ष के कई नेताओं ने सरकार के इस कदम की आलोचना की है। विपक्ष के इन आरोपों का जवाब देते हुए सरकार की ओर से सफाई दी गई है कि यूपीए सरकार ने कुछ बिंदुओं को छोड़ दिया था। इस ऐक्ट में नियम बनाने का कोई प्रावधान नहीं था, इसलिए यह संशोधन जरूरी था।

सरकार ने दी सफाई

आरटीआई अधिनियम में संशोधन को लेकर विपक्ष की आलोचना को निर्मूल करार देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार पारदर्शिता तथा विभिन्न सरकारी विभागों से जुड़ी सूचनाओं के निर्वाध प्रवाह को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री जावड़ेकर ने ट्वीट किया, ‘एक वर्ग की ओर से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण ढंग से सरकार को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। उनकी इस आलोचना में कोई दम नहीं है कि आरटीआई कानून में संशोधन से सूचना आयोग की स्वायत्तता प्रभावित होगी।’

उन्होंने कहा कि इससे सूचना आयोग की स्वायत्तता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। जावड़ेकर ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार सूचनाओं के वास्तविक एवं निर्बाध प्रवाह को मजबूत बनाने को प्रतिबद्ध है। इसलिए स्वत: संज्ञान लेते हुए सरकारी विभागों से अधिकतम सूचना प्रदान करने को प्रोत्साहित किया जाता है। वहीं, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने पारदर्शिता कानून के बारे में विपक्ष की चिंताओं को निर्मूल करार देते हुए कहा कि मोदी सरकार पारदर्शिता, जन भागीदारी, सरलीकरण, न्यूनतम सरकार…अधिकतम सुशासन को लेकर प्रतिबद्ध है। (इनपुट- भाषा के साथ)

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