बिहार में एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी एईएस (चमकी बुखार) से मरने वाले बच्चों का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। आकड़ो के मुताबिक, इस बिमारी की चपेट में आने से मुजफ्फरपुर में अब तक 100 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है। इस दौरान रविवार को हालात का जायजा लेने मुजफ्फरपुर श्रीकृष्ण सिंह मेडिकल कालेज अस्पताल पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने इस समस्या को जड़ से समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से राज्य को सभी संभव तकनीक और आर्थिक मदद का आश्वासन दिया।
अस्पताल के दौरे के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। उनकी इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री और बिहार भाजपा के नेता अश्विनी कुमार चौबे झपकी मारते नजर आए। सिर्फ अश्विनी चौबे ही नहीं बल्कि बिहार के मंत्री सुरेश शर्मा भी उंघते नजर आए। दोनों मंत्रियों के झपकी मारने वाली तस्वीरें और वीडियों अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है।
https://twitter.com/jyotiyadaav/status/1140251806062141441?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1140251806062141441%7Ctwgr%5E393039363b636f6e74726f6c&ref_url=https%3A%2F%2Fwww.jantakareporter.com%2Fhindi%2Fashwini-choubey-sleeping-during-press-conference-of-union-health-minister-harsh-vardhan-in-muzaffarpur%2F252823%2F
इसी बीच, अश्विनी कुमार चौबे सोमवार को जब संसद पहुचे तो मीडियाकर्मियों द्वारा सोने को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने अजीबोगरीब जवाब देते हुए कहा कि मैं सो नहीं, बल्कि चिंतन-मनन कर रहा था। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, उन्होंने कहा, “मैं चिंतन-मनन भी करता हूं, सो नहीं रहा था।”
#WATCH MoS Health and Family Welfare, Ashwini Kumar Choubey on reports of him sleeping during a media briefing of Union Health Minister on Bihar AES deaths: Main manan chintan bhi karta hoon na, main so nahi raha tha. pic.twitter.com/i9p8e37cJJ
— ANI (@ANI) June 17, 2019
गौरतलब है कि बिहार के कई जिलों में एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी एईएस का कहर जारी है। बिहार में इसे चमकी बुखार भी कहा जाता है। बच्चों की मौतों पर नीतीश सरकार घिरती हुई नजर आ रहीं है। चमकी बुखार के कहर के चलते अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। एईएस के प्रकोप से मरने वाले ज्यादातर बच्चे समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के हैं।