जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ वर्षीय बच्ची के सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड की पंजाब के पठानकोट की अदालत में चल रही सुनवाई पूरी हो गई है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, बहुचर्चित कठुआ गैंगरेप और हत्या केस का ट्रायल पूरा हो गया है। केस में फैसला 10 जून को सुबह 10 बजे सुनाया जाएगा। इससे पहले चार जून को फैसला आने की संभावना जताई गई थी।
कठुआ गैंगरेप और हत्या मामले में मुख्य आरोपी सांझी राम। File Photo: AFPकठुआ में वकीलों द्वारा अपराध शाखा के अधिकारियों को आरोप पत्र दाखिल करने से रोकने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस मामले को जम्मू-कश्मीर से बाहर भेज दिया गया था। बीते साल जून के पहले सप्ताह में पठानकोट की जिला एवं सत्र अदालत में रोजाना कैमरे की निगरानी में मामले की सुनवाई शुरू हुई थी। जम्मू-कश्मीर पुलिस की अपराध शाखा के मामला संभालने के बाद जम्मू क्षेत्र में राजनीतिक उथल-पुथल देखी गई थी।
Pathankot, Punjab: Trial over in Kathua (J&K) rape and murder case. Judgement to be pronounced on June 10 at 10 am.
— ANI (@ANI) June 3, 2019
अपराध शाखा ने एक किशोर और दो पुलिस अधिकारियों सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया था, जिन पर सबूत नष्ट करने का आरोप था। मामला पीडीपी-भाजपा की तत्कालीन सरकार के लिए विवाद का विषय बन गया था। मामले में अपराध शाखा द्वारा गिरफ्तार लोगों के समर्थन में हिंदू एकता मंच की रैली में भाग लेने के लिए भाजपा को अपने दो मंत्रियों चौधरी लाल सिंह और चंदर प्रकाश गंगा को बर्खास्त करना पड़ा था।
क्या है मामला?
गत वर्ष जनवरी में जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में एक 8 साल की मासूम बच्ची के साथ गैंगरेप करने के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। बच्ची के साथ हुए गैंगरेप और हत्या के केस ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। आरोपियों पर आरोप है कि उन्होंने मासूम को एक सप्ताह तक कठुआ जिले के एक गांव के मंदिर में बंधक बनाकर रखा और उसे नशीला पदार्थ देकर उसके साथ बार-बार बलात्कार किया और बाद में उसकी हत्या कर दी गई थी।
आरोपियों में एक नाबालिग भी शामिल है, जिसके खिलाफ एक पृथक आरोपपत्र दायर किया गया है। अपराध शाखा द्वारा दायर आरोपपत्रों के अनुसार, बकरवाल समुदाय की लड़की का अपहरण, बलात्कार और हत्या एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी, ताकि इस अल्पसंख्यक घुमंतू समुदाय को इलाके से हटाया जा सके। इसमें कठुआ के एक छोटे गांव के एक मंदिर के रखरखाव करने वाले को इस अपराध का मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है।
नींद की ज्यादा गोलियां देने से कोमा में चली गई थी पीड़िता
पिछले साल जून में इस मामले में फॉरेंसिक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसने सबको हिलाकर रख दिया था। अपराध विज्ञान विशेषज्ञों ने कहा था कि बच्ची की हत्या से पहले उसे जबरन नींद की काफी गोलियां दी गयीं, जिससे कारण वह कोमा में चली गई। समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक, इस सामूहिक बलात्कार-सह-हत्याकांड की जांच कर रही जम्मू कश्मीर पुलिस की अपराध शाखा ने उसे उसके अपहर्ताओं द्वारा दी गई मन्नार कैंडी (उसे स्थानीय गांजा समझा जाता है) और एपिट्रिल 0.5 एमजी गोलियों के प्रभाव का परीक्षण करने के लिए इसी महीने के प्रारंभ में उसका विसरा अपराध विज्ञान प्रयोगशाला में भेजा था।
जिसके बाद अपराध शाखा को मिली मेडिकल राय के तहत डॉक्टरों ने कहा है कि आठ साल की लड़की को दी गई गोलियों से संभवत: वह सदमे की स्थिति में या कोमा में चली गई। अपराध शाखा ने मेडिकल विशेषज्ञों से आठ साल की लड़की को उसके खाली पेट रहने के दौरान दी गई इन दवाइयां के संभावित असर के बारे में पूछा था। अपराध शाखा ने तब विस्तृत मेडिकल राय जाने का फैसला किया जब अदालत में आरोपियों और उनके वकीलों ने तथा सोशल मीडिया पर उनके समर्थकों ने दावा किया कि यह करीब-करीब असंभव है कि लड़की पर हमला हो रहा हो और वह नहीं चिल्लाई हो।
विसरा का परीक्षण करने के बाद डॉक्टरों ने कहा कि लड़की को जो दवा दी गई थी उसमें क्लोनाजेपाम सॉल्ट था और उसे मरीज के उम्र और वजन को ध्यान में रखकर चिकित्सकीय निगरानी में ही दिया जाता है। चिकित्सकीय राय में कहा गया है, ‘‘उसके (पीड़िता के) 30 किलोग्राम वजन को ध्यान में रखते हुए मरीज को तीन खुराक में बांटकर प्रति दिन 0.1 से 0.2 एमजी दवा देने की सिफारिश की जाती है।’’ उसमें आगे कहा गया है कि ‘उसे 11 जनवरी, 2018 को जबर्दस्ती 0.5 एमजी की क्लोनाजेपाम की पांच गोलियां दी गयीं जो सुरक्षित डोज से ज्यादा थी। बाद में भी उसे और गोलियां दी गईं। ज्यादा डोज के संकेत और लक्षण नींद, भ्रम, समझ में कमी, प्रतिक्रियात्मक गतिविधि में गिरावट, सांस की गति में कमी या रुकावट, कोमा और मृत्यु हो सकते हैं।’’