बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को हत्या के पहलू सहित जांच पूरी करने के लिए सोमवार को तीन महीने का समय दिया। बिहार के मुजफ्फरपुर में एक एनजीओ द्वारा संचालित एक आश्रयगृह में बच्चियों के यौन उत्पीड़न और प्रताड़ना का मामला टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट सामने आने के बाद सुर्खियों में आया था।
फाइल फोटोन्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति एम. आर. शाह की अवकाश पीठ ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह बच्चियों के साथ हुए अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न और उनका वीडियो बनाए जाने के मामले की भी भादंसं की धारा 377 के तहत जांच करे। पीठ ने सीबीआई से कहा कि वह आश्रयगृह की बच्चियों को नशा देकर उनके यौन उत्पीड़न में मदद करने वाले बाहरी लोगों की भूमिका की भी जांच करे। शीर्ष अदालत ने सीबीआई को तीन महीने के भीतर मामले पर रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
बता दें कि, इससे पहले सीबीआई ने 3 मई को सुप्रीम कोर्ट में सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा था कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर और उसके सहयोगियों ने 11 लड़कियों की कथित रूप से हत्या की थी। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि एक श्मशान घाट से ‘हड्डियों की पोटली’ भी बरामद हुई है।
शीर्ष अदालत में दायर अपने हलफनामे में सीबीआई ने कहा कि जांच के दौरान दर्ज पीड़ितों के बयानों में 11 लड़कियों के नाम सामने आये हैं जिनकी ठाकुर और उनके सहयोगियों ने कथित रूप से हत्या की थी। एजेंसी ने कहा कि एक आरोपी की निशानदेही पर एक श्मशान घाट के एक खास स्थान की खुदाई की गई जहां से हड्डियों की पोटली बरामद हुई है। (इंपुट: भाषा के साथ)