अंग्रेजी समाचार चैनल ‘रिपब्लिक टीवी’ के विवादास्पद एंकर और संस्थापक अर्नब गोस्वामी को केरल हाई कोर्ट ने मंगलवार (28 मई) को बड़ी राहत दी है। केरल हाई कोर्ट ने मंगलवार (28 मई) को चैनल पर चर्चा के दौरान कथित रूप से केरल के लोगों को अपमानित करने के आरोप में अर्नब गोस्वामी के खिलाफ कन्नूर की न्यायिक मजिस्ट्रेट में दायर आपराधिक मानहानि मामले में कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगा दी।
लाइव लॉ के मुताबिक, अर्नब गोस्वामी के खिलाफ सीपीआई-एम के नेता पी ससी ने द्वारा यह शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि गोस्वामी ने केरल वासियों को “बेशर्म” करार दिया था। शिकायत का संज्ञान लेते हुए कन्नूर की न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट ने रिपब्लिक टीवी के संस्थापक गोस्वामी को 20 जून को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश देते हुए तलब किया था।
इसे चुनौती देते हुए, गोस्वामी और एआरजी आउटलेयर मीडिया लिमिटेड ने शिकायत को रद्द करने की मांग करते हुए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। केरल सरकार द्वारा संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सरकार से मदद की कथित पेशकश स्वीकार किए जाने के बाद गोस्वामी ने इसे केरल के बाढ़ पीड़ितों का अपमान करने का आरोप लगाया गया था।
दरअसल, सोशल मीडिया पर एक वीडियो जमकर वायरल हुआ था, जो गोस्वामी के शो का हिस्सा था। वायरल वीडियो को शेयर कर लोगों ने आरोप लगाया था कि अर्नब ने अपने शो में केरल के लोगों को ‘बेशर्म’ कहा। वीडियो में गोस्वामी को यह कहते हुए सुना जा सकता है: “ये ग्रुप बेशर्म है। मैंने इतने बेशर्म भारतीय पहले कभी नहीं देखे। वे चारों तरफ झूठ फैला रहे हैं। मुझे नहीं पता इसके बदले उन्हें क्या मिला, पता नहीं उन्हें इसके लिए कितने पैसे मिले? क्या उन्हें अपने देश को गाली देने के लिए पैसे मिले? क्या ये भारत को बदनाम करने का एक षड्यंत्र है?”
गत वर्ष वीडियो सामने आने के बाद सोशल मीडिया यूजर्स ने गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी के मलयाली सह-संस्थापक राजीव चंद्रशेखर को हैशटैग #ShamelessMalayali के साथ निशाना साधना शुरू कर दिया था। गोस्वामी को लिखे अपने पत्र में, ससी ने उन्हें लोगों से माफी मांगने या मुआवजे में 10 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए कहा था।
यूएई की केरल को कथित 700 करोड़ रुपये की मदद पर चर्चा के लिए गोस्वामी ने अपने डिबेट में एक पैनल बुलाया था। केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन के कार्यालय की तरफ से इस मदद के बारे में ट्वीट किया गया था, लेकिन बाद में यूएई की तरफ से इस खबर का खंडन कर दिया गया। हालांकि, मुख्यमंत्री विजयन अपने दावे पर कायम रहे और इसके लिए एक यूएई के मलयाली बिसनेसमैन का हवाला दिया।