चुनाव आयोग ने सोमवार (15 अप्रैल) को सपा नेता आजम खान के चुनाव प्रचार पर 72 घंटे और बीजेपी नेता मेनका गांधी के चुनाव प्रचार पर 48 घंटे की रोक लगा दी है। चुनाव आयोग ने अलग-अलग आदेश जारी कर कहा कि दोनों को चुनाव प्रचार करने से रोका गया है।
आयोग ने इन दोनों नेताओं को मंगलवार यानी 16 अप्रैल को सुबह 10 बजे से उन्हें चुनाव प्रचार में भाग लेने, जनसभाएं करने, रोड शो आयोजित करने, मीडिया के सामने बयान देने और साक्षात्कार देने आदि पर रोक लगाई है। इससे पहले सोमवार को ही चनाव आयोग ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर क्रमश: 48 और 72 घंटों तक लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी का प्रचार करने पर रोक लगा दी थी। दोनों पर कार्रवाई आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उल्लंघन करने पर की गई है।
आजम खान ने जयाप्रदा पर दिया था विवादित बयान समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान ने रविवार को रामपुर की शाहबाद तहसील में आयोजित एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए बिना नाम लिए बीजेपी प्रत्याशी जयाप्रदा पर एक विवादित टिप्पणी की थी। उनके इस बयान की हर कोई निंदा कर रहा है। जयाप्रदा का नाम लिए बगैर आजम खान ने जनसभा में मौजूद लोगों से पूछा, ‘क्या राजनीति इतनी गिर जाएगी कि 10 साल जिसने रामपुर वालों का खून पिया, जिसे उंगली पकड़कर हम रामपुर में लेकर आए, उसने हमारे ऊपर क्या-क्या इल्जाम नहीं लगाए। क्या आप उसे वोट देंगे?’ आजम ने आगे कहा कि आपने 10 साल जिनसे अपना प्रतिनिधित्व कराया, उसकी असलियत समझने में आपको 17 साल लगे, मैं 17 दिन में पहचान गया कि इनके नीचे का अंडरविअर खाकी रंग का है।
मेनका गांधी ने मुसलमानों को दी थी धमकी केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता मेनका गांधीं ने सुल्तानपुर की एक चुनावी सभा में मुस्लिम मतदाताओं को इशारों इशारों में धमकी दी थीं।केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने मुस्लिम मतदाताओं से कहा था कि वे आगामी लोकसभा चुनाव में उनके पक्ष में मतदान करें, क्योंकि मुसलमानों को चुनाव के बाद उनकी जरूरत पड़ेगी। उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहीं मेनका ने मुस्लिम बहुल क्षेत्र तूराबखानी में आयोजित एक चुनावी सभा में कहा था, ‘मैं लोगों के प्यार और सहयोग से जीत रही हूं लेकिन अगर मेरी यह जीत मुसलमानों के बिना होगी तो मुझे बहुत अच्छा नहीं लगेगा।’’
बीजेपी सांसद ने आगे नेता ने कहा, ‘‘इतना मैं बता देती हूं कि फिर दिल खट्टा हो जाता है। फिर जब मुसलमान आता है काम के लिए, फिर मै सोचती हूं कि नहीं रहने ही दो क्या फर्क पड़ता है। आखिर नौकरी भी तो एक सौदेबाजी ही होती है, बात सही है या नहीं?’