देश में बढ़ रही असहिष्णुता को लेकर नामचीन गीतकार गुलजार ने भी अपनी व्याथा व्यक्त की है। उन्होंने कहा, “पहले तो ऐसा माहौल नहीं था कि नाम से पहले धर्म पूछा जाता था।”
गुलजार ने कहा कि उन्होंने ऐसा माहौल हमने पहले कभी नहीं देखा, कम से कम पहले लोग बात करने के लिए बेखौफ थे।
प्रश्न करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे तो अच्छा लगेगा उनसे मिल कर जिन्हें ‘राम राज्य’ मिल गया हो । “क्या आपको दिख रहा है?”
गुलजार ने साहित्यकार बनाम सरकार की लड़ाई में साहित्यकारों का साथ देते हुए कहा, “साहित्यकारों की हालत के लिए सरकार जिम्मेदार है। जिस तरह की हत्या हुई, वो साहित्य अकादेमी की दोष नहीं है, वो सरकार में से निकला हुआ दोष है।”
हाल ही में कन्नड़ लेखक कलबुर्गी की हत्या कर दी गई थी।
उन्होंने कहा, “लेखक क्या राजनीति करेगा बेचारा, वो तो बस दिल की बात कह रहा है, ज़मीर की बात कर रहा है। लेखक समाज की ज़मीर को संभालने वाले लोग हैं।”
गुलजार ने मोदी सरकार के लिए कहा कि मंसूबे तो उनके अच्छे हैं लेकिन काम आम आदमी तक पहुंचेगा तब पता लगेगा।