फैक्ट चेक: कोलकाता में आयोजित विपक्षी दलों की रैली में ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारे नहीं लगने के अमित शाह का दावा ‘झूठा’ निकला

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भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में मंगलवार (22 जनवरी) एक रैली को संबोधित करते हुए राज्‍य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर जमकर निशाना साधा। शाह ने कहा कि ममता दीदी को डर था कि अगर हमारी यात्रा राज्य में निकलती है तो उनकी सरकार की अंतिम यात्रा निकल जाएगी। इस दौरान अमित शाह ने रथयात्रा से लेकर रोहिंग्याओं, नागरिकता संशोधन बिल, दुर्गा पूजा विसर्जन और पिछले दिनों कोलकाता में हुए विपक्षी पार्टियों की रैली को लेकर भी सीएम ममता को घेरा।

रैली को संबोधित करते हुए अमित शाह ने विपक्षी पार्टियों पर कटाक्ष करते हुए दावा किया कि 19 जनवरी को कोलकाता में बीजेपी के खिलाफ आयोजित ममता बनर्जी की महारैली में किसी विपक्षी पार्टी के नेताओं ने ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारे नहीं लगाए। बीजेपी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल के मुताबिक, शाह ने कहा, “जिस गठबंधन की रैली में ‘भारत माता की जय’ का जयकारा ना लगता हो, ‘वन्दे मातरम्’ के नारे नहीं लगते हो, वो देश का क्या भला करेंगे?”

शाह ने कहा कि विपक्ष की रैली में एक बार भी ‘भारत माता की जय’ का नारा नहीं लगा, ‘वंदे मातरम’ का नारा नहीं लगा, बस मोदी-मोदी-मोदी होता रहा।

हालांकि, ‘जनता का रिपोर्टर’ को कुछ ऐसे तथ्य मिले हैं, जिसमें शाह का यह दावा गलत साबित होता दिख रहा है। कोलकाता में 19 जनवरी को आयोजित यूनाइटेड इंडिया रैली में कई ऐसे नेता थे जिन्होंने देशभक्तिपूर्ण नारे लगाए थे। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने रैली में अपना भाषण समाप्त करते हुए ‘जय हिंद’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए थे। नीचे मौजूद वीडियो में आप 02.43 मिनट पर हार्दिक द्वारा देशभक्ति नारे लगाते हुए देख और सुन सकते हैं।

हार्दिक के अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी ‘वंदे मातरम’ और ‘जय हिंद’ के नारों के साथ अपना भाषण समाप्त किया था। नीचे दिए गए उनसे भाषण के वीडियो में आप 25:20 मिनट से इन नारों को सुन सकते हैं। इस दौरान ममता ने एक बार नहीं बल्कि कई बार ‘वंदे मातरम’ के नारे लगाए थे।

आपको बता दें कि आगामी लोकसभा चुनाव में सभी विपक्षी दलों को साथ लाने की ममता की कवायद के तहत 19 जनवरी को कोलकाता में आयोजित विशाल रैली में देश भर के तमाम प्रमुख विपक्षी दलों के नेता एक मंच पर नजर आए और उन्होंने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने की हुंकार भरी। इस दौरान संयुक्त विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के मुद्दे पर ममता ने कहा कि विपक्षी दल एकसाथ मिलकर काम करने का वादा करते हैं और प्रधानमंत्री कौन होगा इस पर फैसला लोकसभा चुनाव के बाद होगा।

ममता की रैली में ये नेता हुए थे शामिल

जनसैलाब की मौजूदगी में हुई इस रैली में पूर्व प्रधानमंत्री एवं जनता दल सेक्यूलर प्रमुख एच डी देवेगौड़ा, तीन वर्तमान मुख्यमंत्री- चंद्रबाबू नायडू (तेलुगु देशम पार्टी), एचडी कुमारस्वामी (जनता दल सेक्यूलर) और अरविंद केजरीवाल (आम आदमी पार्टी), छह पूर्व मुख्यमंत्री- अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी), फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला (दोनों नेशनल कांफ्रेंस), बाबूलाल मरांडी (झारखंड विकास मोर्चा), हेमंत सोरेन (झारखंड मुक्ति मोर्चा) और इसी हफ्ते बीजेपी छोड़ चुके गेगांग अपांग शामिल थे।

इसके अलावा आठ पूर्व केंद्रीय मंत्री- मल्लिकार्जन खड़गे (कांग्रेस), शरद यादव (लोकतांत्रिक जनता दल), अजित सिंह (राष्ट्रीय लोक दल), शरद पवार (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी), यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी, शत्रुघ्न सिन्हा और राम जेठमलानी ने हिस्सा लिया। इनके अलावा, राजद नेता एवं बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी, बसपा सुप्रीमो मायावती के प्रतिनिधि एवं राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्रा, पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल और जानेमाने दलित नेता एवं गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी भी मंच पर नजर आए।

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