सुप्रीम कोर्ट ने कंप्यूटर प्रणालियों को इंटरसेप्ट करने, उन पर नजर रखने और उनके आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए देश की 10 एजेंसियों को अनुमति देने वाले सरकारी नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर केन्द्र को सोमवार (14 जनवरी) को नोटिस जारी किया। शीर्ष अदालत ने केन्द्र सरकार से छह सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब देने को कहा है। इससे पहले केन्द्र सरकार की 20 दिसंबर की अधिसूचना को चुनौती देते हुए न्यायालय में याचिका दायर की गई थी।
बता दें कि गृह मंत्रालय ने शुक्रवार (21 दिसंबर) को जारी बयान में कहा था कि नया आदेश किसी सुरक्षा या कानून लागू कराने वाली एजेंसी को कोई नई शक्ति नहीं दे रहा। अधिकारियों ने बताया कि आदेश के मुताबिक, 10 केंद्रीय जांच और खुफिया एजेंसियों को अब सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत किसी कंप्यूटर में रखी गई जानकारी देखने, उन पर नजर रखने और उनका विश्लेषण करने का अधिकार होगा।
इन 10 एजेंसियों में खुफिया ब्यूरो (आईबी), नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ), सिग्नल खुफिया निदेशालय (जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर और असम में सक्रिय) और दिल्ली पुलिस शामिल हैं।
गृह मंत्रालय द्वारा कंप्यूटर की निगरानी बाले आदेश पर भड़की शिवसेना ने कहा था कि पीएम मोदी को देश में आपातकाल घोषित कर देना चाहिए। समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, शिवसेना नेता मनीषा कयांदे ने कहा, ‘इस तरह के नोटिफिकेशन जारी होने के बाद मोदी जी को देश में आपातकाल घोषित कर देना चाहिए।’ वहीं इस मामले को लेकर विपक्षी दलों ने भी मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला है।
बता दें कि सरकार के इस नोटिफिकेशन पर बीते दिनों संसद में भी जोरदार हंगामा हुआ था। विपक्षी दलों ने इसे आम आदमी के अधिकारों और निजता का उल्लंघन बताया था।