आलोक वर्मा को सीबीआई के डायरेक्टर पद से हटाया गया

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सीबीआई के डायरेक्टर अलोक वर्मा को एक मर्तबा फिर से उनके पद से हटा दिया गया है। ये फैसला चुनाव समिति की मीटिंग के बाद लिया गया है। इस समिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जस्टिस ए के सीकरी और लोक सभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल हैं।

रिपोर्ट्स के अनुसार मोदी और जस्टिस सिकरी ने सीवीसी रिपोर्ट की दुहाई देकर वर्मा को पद से हटाने का समर्थन किया। खड़गे इस पर अपनी असहमति जताई।

नागेश्वर राव को फिर से सीबीआई का अंतरिम डायरेक्टर बनाया गया है। वो इस पद पर तब तक रहेंगे जब तक सीबीआई के नए डायरेक्टर को चुन लिया नहीं जाता।

वर्मा का कार्यकाल 31 जनवरी को समाप्त हो रहा था।

विशेषज्ञों का मानना है कि वर्मा राफेल मामले की जांच का आर्डर देने का मन बना चुके थे और यही बात केंद्र सरकार को शायद मंज़ूर नहीं थी।

इस फैसले के जरिये केंद्र की मोदी सरकार ने ये साबित कर दिया है कि वो सुप्रीम कोर्ट से कहीं ज़्यादा शक्तिशाली है। सिर्फ दो सिन पहले सुपोरेमे कोर्ट द्वारा शर्मिंदगी उठाने के बाद मोदी सरकार द्वारा लिया गया ये क़दम जांच एजेंसियों की स्वायत्ता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

सीबीआई) निदेशक का पद संभालते ही आलोक वर्मा फिर से एक्शन में आ गए थे। जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के 77 दिन बाद बुधवार (9 जनवरी) को अपनी ड्यूटी पर लौटे आलोक वर्मा ने तत्कालीन निदेशक (प्रभारी) एम नागेश्वर राव द्वारा किए गए लगभग सारे तबादले रद्द कर दिए थे। ऐसा माना जा रहा था कि वर्मा जल्द ही राफेल मामले में प्रारम्भिक जांच का आर्डर देंगे।

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