दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात फिल्म निर्देशक मृणाल सेन का लंबी बीमार के बाद रविवार (30 दिसंबर) को निधन हो गया। वह 95 वर्ष के थे। बताया जा रहा है कि दिग्गज फिल्म निर्माता मृणाल सेन का दक्षिण कोलकाता स्थित उनके आवास में रविवार सुबह उम्र संबंधी जटिलताओं के कारण निधन हो गया।

‘‘नील आकाशेर नीचे’’, ‘‘भुवन शोम’’, ‘‘एक दिन अचानक’’, ‘‘पदातिक’’ और ‘‘मृगया’’ जैसी फिल्मों के लिए पहचाने जाने वाले पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित सेन देश के सबसे प्रख्यात फिल्म निर्माताओं में से एक थे और समानांतर सिनेमा के दूत थे।
एक परिवार के सदस्य ने समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा से कहा, ‘‘सेन का उम्र संबंधी बीमारियों के कारण आज सुबह करीब साढ़े दस बजे निधन हो गया।’’ कई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीतने वाले लेखक को समाज की सच्चाई का कलात्मक चित्रण करने के लिए जाना जाता था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्टपति रामनाथ कोविंद और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने टि्वटर पर सेन के निधन पर शोक जताया है। पीएम मोदी ने मृणाल सेन के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा है कि देश उनका आभारी रहेगा।
Our country is grateful to Shri Mrinal Sen for giving us some of the most memorable films.
The dexterity and sensitivity with which he made films is noteworthy. His rich work is admired across generations.
Saddened by his demise. My thoughts are with his family and admirers.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 30, 2018
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने फिल्मकार के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए, ‘‘समाज के मर्मज्ञ और संवेदनशील चित्रण’’ के लिए उन्हें याद किया। उन्होंने लिखा, ‘‘प्रख्यात फिल्मकार मृणाल सेन के निधन की खबर सुन दुखी हूं। ‘भुवन सोम’ से लेकर ‘कलकत्ता ट्राइलॉजी’ में समाज के मर्मज्ञ और संवेदनशील चित्रण से उन्होंने हमारे समय को बेहतरीन तरीके से पेश किया। बंगाल, भारत और विश्व सिनेमा को क्षति।’’
Sad to learn of the passing of acclaimed film-maker Mrinal Sen. From Bhuvan Shome to the Calcutta trilogy, his penetrating and sensitive portrayal of social realities made him a fine chronicler of our times. A loss to Bengal, to India and to the world of cinema #PresidentKovind
— President of India (@rashtrapatibhvn) December 30, 2018
वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने टि्वटर पर सेन के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा, ‘‘मृणाल सेन के निधन से दुखी हूं। फिल्म उद्योग की बड़ी क्षति। उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।’’
Saddened at the passing away of Mrinal Sen. A great loss to the film industry. My condolences to his family
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) December 30, 2018
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने भी फिल्म निर्माता को उनके मानवीय कथानक के लिए याद किया। उन्होंने कहा, ‘‘मृणाल सेन का गुजर जाना न केवल सिनेमा बल्कि दुनिया की संस्कृति और भारत की सभ्यता के मूल्यों की बड़ी क्षति है। मृणाल दा लोगों पर आधारित अपने मानवतावादी कथानक से सिनेमैटोग्राफी में बड़ा बदलाव लाए।’’
मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने भी ट्वीट कर शोक व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, ‘‘ मृणाल सेन नहीं रहे। सबसे अधिक मिलनसार, प्रतिष्ठित रचनात्मक सिनेमाई शख्स….सत्यजीत रे और ऋत्विक घटक के समकालीन..मैंने पहली बार अपनी आवाज (वॉयस ओवर) उनकी फिल्म ‘भुवन सोम’ में दी थी।’’
T 3043 – Mrinal Sen no more .. a most amiable, distinguished creative cinematic mind , contemporary of Satyajit Ray and Rithik Ghatak.. I did my first ever voice over in his film BHUVAN SHOME .. prayers and condolences ??
— Amitabh Bachchan (@SrBachchan) December 30, 2018
मशहूरी बंगाली अभिनेता परमब्रत चटर्जी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘एक युग का अंत। युग…लीजेंड्स कभी नहीं मरते।’’ प्रोसेनजीत चटर्जी ने कहा, ‘‘साल के अंत में लीजेंड मृणाल सेन के निधन जैसी खबरें मिलना हमारे लिए दुख की बात है और हम इससे स्तब्ध हैं। मृणाल सेन ने भारतीय सिनेमा को नया नजरिया दिया। यह हम सभी के लिए भारी क्षति है। उनकी आत्मा को शांति मिले।’’
बंगाली फिल्म उद्योग भी दिग्गज निर्देशक के निधन से शोक में है। परमब्रत चटर्जी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘एक युग का अंत। युग…लीजेंड्स कभी नहीं मरते।’’ प्रसेनजीत चटर्जी ने कहा, ‘‘साल के अंत में लीजेंड मृणाल सेन के निधन जैसी खबरें मिलना हमारे लिए दुख की बात है और हम इससे स्तब्ध हैं। मृणाल सेन ने भारतीय सिनेमा को नया नजरिया दिया। यह हम सभी के लिए भारी क्षति है। उनकी आत्मा को शांति मिले।’’
मृणाल सेन का जन्म 14 मई 1923 को फरीदपुर (अब बांग्लादेश में है) में हुआ था। उन्होंने स्नातकोत्तर की पढ़ाई कलकत्ता विश्वविद्यालय से की थी। छात्र के तौर पर मार्क्सवादी विचारधारा से प्रभावित सेन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सांस्कृतिक शाखा से जुड़े थे। हालांकि वह कभी पार्टी के सदस्य नहीं बनें। वह ‘इंडियन पीपल्स थिएटर एसोसिएशन’ का हिस्सा थे। वह 1998 से 2003 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे। सेन के निर्देशन में बनी आखिरी फिल्म ‘आमार भुवन’ (दिस इज माय लैंड) 2002 में रिलीज हुई थी।