सीबीआई में जारी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की जांच कर रहे सीबीआई के DIG मनीष कुमार सिन्हा ने भी सोमवार (19 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट का रुख करके अपना तबादला नागपुर किए जाने के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया।
भ्रष्टाचार के कथित मामले में अस्थाना की भूमिका की जांच कर रही टीम का हिस्सा रहे आईपीएस अधिकारी मनीष कुमार सिन्हा ने मंगलवार को अविलंब सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष अपनी याचिका का उल्लेख किया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सिन्हा से पूछा कि आखिर वे इस मामले में क्यों जल्द सुनवाई चाहते हैं, तो उन्होंने कहा कि ”मेरे पास कुछ चौंकाने वाले दस्तावेज हैं”। इस पर बेंच की अगुवाई कर रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा ”हमारे लिए कुछ भी चौंकाने वाला नहीं है”। इस पीठ में न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ भी शामिल हैं।
अपनी याचिका में सिन्हा ने आरोप लगाया है कि एजेंसी द्वारा जांच मामले में एक वरिष्ठ मंत्री को मीट व्यवसायी मोईन कुरैशी केस में कथित तौर पर करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया था। इतना ही नहीं सिन्हा के इस याचिका में जो सबसे बड़ा चौंकाने वाला जो नाम है वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल का। जी हां, सिन्हा की इस याचिका में अजीत डोभाल का भी जिक्र है।
MK Sinha, DIG CBI drops a bombshell ????
As per Manoj Prasad, Dineshwar Prasad, father of Manoj and Somesh, retired as Joint Secretary, R&AW and has close acquaintance with the present National Security Advisor Shri Ajit K. Doval (“NSA”): MK Sinha in his plea in SC pic.twitter.com/WuqA3K36kc— Arvind Gunasekar (@arvindgunasekar) November 19, 2018
गौरतलब है कि यह पीठ अधिकार छीनने और अवकाश पर भेजने संबंधी सरकारी आदेश को चुनौती देने वाली सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की याचिका पर कल यानी मंगलवार को सुनवाई करने वाली है। सिन्हा ने कहा कि उनकी अर्जी पर भी कल वर्मा की याचिका के साथ ही सुनवाई की जाए।
उन्होंने आरोप लगाया है कि उनका तबादला नागपुर कर दिया गया है और इस वजह से वह अस्थाना के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की जांच से बाहर हो गए हैं। सरकार ने एक आदेश जारी कर राकेश अस्थाना की भी शक्तियां छीन ली गई हैं और उन्हें अवकाश पर भेज दिया है।
मंत्रियों, शीर्ष अधिकारियों के नामों को भी घसीटा गया
सीबीआई को लेकर चल रहा विवाद सोमवार को वरिष्ठ अधिकारी एम के सिन्हा द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल तथा केंद्रीय मंत्री हरिभाई पी चौधरी और केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के वी चौधरी का नाम लिये जाने के बाद और गहरा गया। सिन्हा ने इन पर सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच में कथित हस्तक्षेप के प्रयास करने के आरोप लगाये।
इस बारे में प्रतिक्रिया मांगे जाने पर वी के चौधरी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। प्रतिक्रिया देने के लिए डोभाल से सम्पर्क नहीं हो पाया। मंत्री के कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि वह इस मामले से अवगत नहीं हैं। सिन्हा, अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी की जांच कर रहे हैं। उन्होंने उच्चतम न्यायालय में दाखिल अपनी याचिका में कई संवेदनशील आरोप लगाये। याचिका में उनका तबादला नागपुर किए जाने के आदेश को खारिज करने के बारे में तुरंत सुनवाई करने का आरोप लगाया गया है।
सिन्हा की ओर से पेश हुए वकील सुनील फर्नांडिस ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक पीठ से कहा कि उनके मुवक्किल ने याचिका में स्तब्ध करने वाले कुछ खुलासे किए हैं। उन्होंने अनुरोध किया कि मंगलवार को सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के अनुरोध के साथ उनकी याचिका को भी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।
पीठ में न्यायमूर्ति एस के कौल एवं न्यायमूर्ति के एम जोसेफ भी शामिल हैं। सिन्हा के वकील के इस अनुरोध पर पीठ ने कहा, ‘‘हम किसी भी चीज से स्तब्ध नहीं होते।’’ पीठ ने वकील से कहा कि जब वर्मा की याचिका पर सुनवाई हो तो वह न्यायालय में उपस्थित रहें। वर्मा ने अपनी याचिका में उनके अधिकार छीने जाने और उन्हें अवकाश पर भेजने के आदेश को चुनौती दी है।
सिन्हा ने दावा किया कि नागपुर में उनका तबादला करने से उन्हें अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी की जांच करने वाले दल से अलग कर दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यह स्थानांतरण मनमाना, प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण है। इसका एकमात्र उद्देश्य अधिकारियों को शिकार बनाना है क्योंकि जांच से चंद ताकतवर लोगों के विरूद्ध पुख्ता सबूत मिले हैं।’’
आंध्र प्रदेश काडर के 2000 बैच के आईपीएस अधिकारी सिन्हा ने अपनी 34 पृष्ठों की याचिका में आरोप लगाया कि सीबीआई निदेशक ने अस्थाना के खिलाफ मामला दर्ज किए जाने के बारे में डोभाल को 17 अक्टूबर को जानकारी दी थी।याचिका में कहा गया, ‘‘बाद में उसी रात को यह सूचित किया गया कि एनएसए ने राकेश अस्थाना को प्राथिमकी दर्ज होने के बारे में जानकारी दी। यह सूचित किया गया कि राकेश अस्थाना ने एनएसए से कथित तौर पर यह अनुरोध किया था कि उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाए।’’
पुलिस उपाधीक्षक ए के बस्सी के शपथपत्र का समर्थन करते हुए सिन्हा ने दावा किया कि बस्सी ने रिश्वत मामले (अस्थाना से संबंधित) में जन सेवकों पर तुरंत छापे मारे जाने का समर्थन किया था। किन्तु सीबीआई के निदेशक ने तुरंत अनुमति नहीं दी और कहा कि एनएसए ने इसके लिए अनुमति नहीं दी। उल्लेखनीय है कि बस्सी को अंडमान एवं निकोबार स्थानांतरित कर दिया गया है।
सीबीआई ने मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से संबंधित एक मामले की जांच के दौरान आरोपी मनोज प्रसाद से कथित रूप से रिश्वत लेने के आरोप में अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। सिन्हा ने कहा कि बिचौलिये मनोज प्रसाद से पूछताछ के दौरान डोभाल तथा भारत की खुफिया एजेंसी रा के विशेष निदेशक एस के गोयल का नाम सामने आया।
सिन्हा ने कहा, ‘‘मनोज प्रसाद के अनुसार उसके पिता दिनेश्वर संयुक्त सचिव के तौर पर सेवानिवृत्त हुए थे और उनकी डोभाल से अच्छी पहचान थी। सीबीआई मुख्यालय लाने पर मनोज ने सबसे पहले यही दावा किया था। उसने इस बात पर आश्चर्य और क्रोध जताया कि उसे सीबीआई कैसे पकड़ सकती है जबकि डोभाल से उसके करीबी संबंध हैं।’’ उन्होंने कहा कि मनोज ने सीबीआई अधिकारियों पर तंज कसा और उनसे ‘सीमाओं में रहने’ को कहा।