मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड: पूर्व मंत्री मंजू वर्मा की गिरफ्तारी न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार को फिर लगाई फटकार, DGP को पेश होने का दिया आदेश

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बिहार के बहुचर्चित मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड मामले में पूर्व मंत्री मंजू वर्मा की गिरफ्तारी न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (12 नवंबर) को एक बार फिर नीतीश सरकार को फटकार लगाई है। साथ ही कोर्ट ने बिहार पुलिस को फटकार लगाते हुए राज्य के डीजीपी को पेश होने का आदेश दिया है। अब मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी। शीर्ष अदालत ने एक बार फिर से इस बात पर आपत्ति जताई कि आखिर क्यों अभी तक मंजू वर्मा की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।

File Photo: PTI

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम हैरान हैं कि एक महीने बाद भी बिहार पुलिस पूर्व मंत्री का पता नहीं लगा पाई है। पुलिस हमें बताए कि आखिर कैसे इतने महत्वपूर्ण शख्स का पता अभी तक नहीं लगाया जा सका है। मामले की सुनवाई 27 नवंबर तक टालते हुए अदालत ने कहा कि डीजीपी अदालत के समक्ष पेश हों। साथ ही कोर्ट ने प्रमुख सचिव को भी तलब किया है। आपको बता दें कि बिहार सरकार में पूर्व मंत्री मंजू वर्मा आर्म्स एक्ट मामले में फरार चल रही हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम हैरान हैं कि पुलिस एक पूर्व मंत्री का महीने भर में सुराग तक नहीं लगा पाई। पुलिस बताए कि आखिर इतनी महत्वपूर्ण शख्स को अबतक ट्रेस क्यों नहीं कर पाई। डीजीपी कोर्ट में पेश हों। शीर्ष अदालत ने बिहार पुलिस पर तंज कसते हुए कहा कि बहुत बढ़िया! कैबिनेट मंत्री (मंजू वर्मा) फरार है… बहुत बढ़िया… यह कैसे हो सकता है कि कैबिनेट मंत्री फरार हो और किसी को पता ही न हो कि वह कहां हैं। आपको इस मुद्दे की गंभीरता पता है कि कैबिनेट मंत्री फरार हैं। हद है, यह बहुत ज्यादा है।

आपको बता दें कि इसी आश्रय गृह में कई लड़कियों से बलात्कार हुआ था। पूर्व मंत्री वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा ने हथियार मामले में पिछले दिनों बेगूसराय की अदालत में आत्मसमर्पण किया था। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) द्वारा राज्य के समाज कल्याण विभाग को सौंपी गई एक ऑडिट रिपोर्ट में यह मामला सबसे पहले प्रकाश में आया था।

इससे पहले शीर्ष अदालत में मामले में जांच से संबंधित विस्तृत सूचनाओं को न्यायालय ने ‘‘भयावह’’ और ‘‘डरावना’’ बताया था। मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में यौन उत्पीड़न मामले के मद्देनजर बिहार सरकार में समाज कल्याण मंत्री रहीं वर्मा को इस्तीफा देना पड़ा था। शीर्ष अदालत ने 18 सितंबर को मामले में जांच के लिये सीबीआई की एक नई टीम के गठन से संबंधित पटना हाई कोर्ट के आदेश पर यह कहकर रोक लगा दी कि इससे ना सिर्फ जारी जांच पर असर पड़ेगा बल्कि यह पीड़ितों के लिये भी नुकसानदायक होगा।

चिकित्सकीय जांच में आश्रय गृह की 42 में से 34 पीड़िताओं के यौन उत्पीड़न की पुष्टि हुई। टीआईएसएस की ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया कि आश्रय गृह की कई लड़कियों ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी। ठाकुर समेत 11 लोगों के खिलाफ 31 मई को प्राथमिकी दर्ज की गयी। बाद में इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गयी थी।

 

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