सरकार ने राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (12 नवंबर) को हलफनामा दाखिल कर कहा है कि 36 राफेल एयरक्राफ्ट की खरीद में रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 के तहत प्रक्रिया का पालन किया गया था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार सोमवार (12 नवंबर) को फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीद के संबंध में किए गए फैसले के ब्योरे वाले दस्तावेज याचिकाकर्ताओं को सौंप दिए हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक दस्तावेजों के अनुसार राफेल विमानों की खरीद में रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 में निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया गया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत याचिकाकर्ताओं को ये दस्तावेज सौंपे हैं।
आपको बता दें कि 31 अक्टूबर को सुनवाई के दौरार सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत तथा रणनीतिक जानकारी एक सील बंद लिफाफे में 10 दिन के भीतर कोर्ट को उपलब्ध कराने के लिए कहा था। साथ ही कोर्ट ने सरकार से कहा था कि जो जानकारी सार्वजनिक की जा सकती है वह याचिकाकर्ताओं और पक्षकारों को उपलब्ध कराएं।
पीटीआई के मुताबिक याचिकाकर्ताओं को सौंपे गए दस्तावेजों में कहा गया है कि फ्रांसीसी पक्ष के साथ बातचीत तकरीबन एक साल चली और समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति की मंजूरी ली गई।गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 31 अक्टूबर के सुनवाई को सरकार से कहा था कि वह 10 दिनों के भीतर राफेल लड़ाकू विमानों से जुड़े ब्यौरे बंद लिफाफे में सौपें।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की तीन सदस्यीय पीठ ने अपने आदेश में सरकार को कुछ छूट भी दी थी। सरकार ने सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि इन लड़ाकू विमानों कीमत से जुड़ी सूचनाएं इतनी संवेदनशील हैं कि उन्हें संसद के साथ भी साझा नहीं किया गया है।
इस पर न्यायालय ने कहा था कि केंद्र सौदे के फैसले की प्रक्रिया को सार्वजनिक करे, सिर्फ गोपनीय और सामरिक महत्व की सूचनाएं साझा नहीं करे। पीठ ने कहा कि सरकार 10 दिन के भीतर ये सूचनाएं याचिकाकर्ताओं के साथ साझा करे। याचिकाकर्ता इस पर सात दिन के भीतर जवाब दे सकते हैं।