उत्तराखंड हाई कोर्ट ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को इंटरनेट पर पोर्न वेबसाइट्स को सख्ती से बंद करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार इंटरनेट पर उपलब्ध 859 पोर्न साइट्स को बंद करने के लिए सख्त कदम उठाए। साथ ही इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को भी केंद्र सरकार की सूची के अनुसार पोर्न साइट्स बंद करने को कहा है।
प्रतीकात्मक फोटोपोर्न साइटों के गलत प्रभाव और इससे दुष्कर्म की घटनाओं के सामने को देखते हुए हाईकोर्ट ने ये आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने देहरादून के एक स्कूल के कुछ छात्रों द्वारा पोर्न साइट देखने के बाद अपनी एक सहपाठी से सामूहिक बलात्कार करने संबंधी खबर का संज्ञान लेते हुए केंद्र से अश्लील वेबसाइटों पर पाबंदी कड़ाई से लागू करने को कहा है।
समचाार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक इस पाबंदी को लागू करने के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की खंडपीठ ने कहा, ‘इन अश्लील साइटों तक पहुंच पर रोक लगाने की जरुरत है ताकि बच्चों के सुबोध मस्तिष्क को प्रतिकूल प्रभाव से बचाया जा सके।’
रिपोर्ट के मुताबिक, चार छात्रों ने जांच के दौरान पुलिस से कहा कि उन्होंने इंटरनेट पर पोर्न फिल्म देखी थी और उसके बाद लड़की से कथित रुप से सामूहिक बलात्कार किया। पीड़िता कक्षा 10वीं की छात्रा थी। अदालत ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को भी इन अश्लील साइटों पर पाबंदी के संबंध में केंद्र द्वारा जारी की गई अधिसूचना का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया।
हाई कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट सेवा प्रदाता इस निर्देश का उल्लंघन करने पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 25 के तहत अपना लाइसेंस गंवा बैठेंगे। केंद्र सरकार ने 2015 में नोटिफिकेशन जारी कर कंपनियों से आईटी ऐक्ट के तहत इन साइट्स को बंद करने को कहा था, लेकिन आदेश के अरसा बीतने के बाद भी कंपनियों द्वारा इन साइट्स को ब्लॉक नहीं किया गया है।