नवंबर, 2016 में नोटबंदी लागू होने के बाद बंद किए गए 500 और 1,000 रुपये के नोटों का 99.3 प्रतिशत बैंको के पास वापस आ गया है। रिजर्व बैंक की 2017-18 की वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। इसका तात्पर्य है कि बंद नोटों का एक काफी छोटा हिस्सा ही प्रणाली में वापस नहीं आया।
फोटो राजदीप के फेसबुक वॉल सेबता दें कि सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा करते हुए कहा था कि इसके पीछे मुख्य मकसद कालाधन और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना है। रिजर्व बैंक को प्रतिबंधित नोटों की गिनती में काफी अधिक समय लगा है।सरकार ने नोटबंदी की घोषणा के बाद लोगों को पुराने नोटों को जमा कराने के लिए 50 दिन की सीमित अवधि उपलब्ध कराई थी।
समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के समय मूल्य के हिसाब से 500 और 1,000 रुपये के 15.41 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों के पास वापस आ चुके हैं। इसका मतलब है कि बंद नोटों में सिर्फ 10,720 करोड़ रुपये ही बैंकों के पास वापस नहीं आए हैं।
सोशल मीडिया पर मचा घमासान
रिजर्व बैंक की इस रिपोर्ट के बाद विपक्ष और सोशल मीडिया यूजर्स ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। सोशल मीडिया पर लोग मोदी सरकार से तीखे सवाल पूछ रहे हैं, जिसमें देश के कई बड़े पत्रकार भी शामिल हैं।वरिष्ठ पत्रकार अंशुमान तिवारी ने ट्वीट कर लिखा है, “लोकतंत्र का तकाजा है कि नोटबंदी पर संसद में बहस हो! सरकार से जवाब मांगा जाए. देश को यह जानने का हक है कि नोटबंदी से क्या मिला और क्या गंवाया गया?”
लोकतंत्र का तकाजा है कि नोटबंदी पर संसद में बहस हो! सरकार से जवाब मांगा जाए. देश को यह जानने का हक है कि नोटबंदी से क्या मिला और क्या गंवाया गया ? #DeMoReportCard
— anshuman tiwari (@anshuman1tiwari) August 29, 2018
अंशुमान तिवारी के इस ट्वीट कर देश के सबसे वरिष्ठ पत्रकारों में से एक राजदीप सरदेसाई ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए मोदी सरकार और केंद्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को घेरने की कोशिश की है। राजदीप ने अंशुमान के ट्वीट को कोट करते हुए लिखा है, “बिलकुल सही अंशुमान भाई! नोट-बंदी पर खुली बहस होनी चाहिए। क्या पाया क्या खोया? लेकिन यह भी जानिए, अगर आप नोट बंदी की आलोचना करते है तो आपको देश द्रोही कहा जाएगा!”
बिलकुल सही अंशुमान भाई! नोट-बंदी पर खुली बहस होनी चाहिए. क्या पाया क्या खोया? लेकिन यह भी जानिए, अगर आप नोट बंदी की आलोचना करते है तो आपको देश द्रोही कहा जाएगा! https://t.co/maaO00FHHK
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) August 30, 2018
RBI की रिपोर्ट पर देखिए लोगों के रिएक्शन
प्रधानमंत्री @narendramodi जी,आप जिस पद पर हैं उस पद की जवाबदेही है इस देश की जनता के प्रति।अब जबकि RBI ने साफ़ कर दिया कि नोटबन्दी में बैन 99% करंसी वापस आ गई है,ये आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप जनता के बीच आकर या तो नोटबन्दी को गलत फैसला मानें या उससे हुए लाभ गिनाएं।चुप्पी क्यों?
— Sushant Sinha (@SushantBSinha) August 30, 2018
मोदीजी 'चौराहा' न सही , नोटबंदी के लिए सॉरी तो बनता है। #demonetizationDisaster
— Abhisar Sharma (@abhisar_sharma) August 30, 2018
2 साल बाद आरबीआई ने आखिरकार आंकड़े पेश कर ही दिए। नोटबन्दी के दौरान 99.3% पुरानी करेंसी उनके पास वापस आ गयी।
नोटबन्दी के जो लक्ष्य बताए गए थे वो कितने पूरे हुये और कितने ब्लैकमनी वाले आज सिस्टम की गिरफ्त में है ये आप खुद तय कर लें।
— MANJUL (@MANJULtoons) August 29, 2018
नोटबंदी तो बहना था हक़ीक़त में इन्हें अपने कुछ साथियों का काला धन सफेद करवाना था, मरा गरीब आदमी और छोटा व्यापारी। #Demonetisation
— Ravish kumar (@RoflRavish) August 29, 2018
रिज़र्व बैंक का कहना है कि नोटबंदी के बाद 99% पैसा बैंकों में वापस आ गया। मतलब नक्सलियों, आतंकवादी संगठनों, काला धन छिपाकर रखने वाले सारे लोगों का पैसा बैंकों में आ गया।@narendramodi जी को फिर टीवी पर आकर देश की उन ग़रीब और मध्यमवर्गीय जनता से माफ़ी मांगनी चाहिए।
— Bhupesh Baghel (@Bhupesh_Baghel) August 29, 2018
“मैंने देश से सिर्फ 50 दिन मांगे है.. उसके बाद अगर मेरी कोई गलती निकल जाए,गलत इरादे निकल जाए,कोई कमी रह जाए तो जिस चौराहे पर खड़ा करेंगे खड़ा होकर, देश जो सजा देगा उसे भुगतने के लिए तैयार हूं।”
– नोटबंदी पर श्री नरेन्द्र मोदी
22 महीने बाद चौराहा चुना आपने,मोदी जी? pic.twitter.com/gVtt4el1IC
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) August 30, 2018
अगर नोटबंदी का पूरा पैसा (99 फीसदी) वापस आ गया तो फिर कालेधन का क्या हुआ? #JustAsking #Demonetisation pic.twitter.com/ECkOEyQqMt
— रेखा । P. Rekha । پون ریکھا (@rekhatripathi) August 29, 2018
देश जवाब चाहता है, प्रधान सेवक जी काला धन कहां है ? आरबीआई के आंकड़े तो बता रहे हैं नोटबंदी फेल हुई और बैंकों में 99% से ज्यादा पुराने नोट वापस आ गए. आखिर आप इसपर अपनी चुप्पी कब तोड़ेंगे ?#Demonetisation
— Avinash Pande (@avinashpandeinc) August 29, 2018
नोटों की गिनती सफलतापूर्वक पूरा
केंद्रीय बैंक ने कहा कि निर्दिष्ट बैंक नोटों (एसबीएन) की गिनती का जटिल कार्य सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। नोटबंदी के बाद लोगों को पुराने नोट जमा कराने का समय दिया गया था। कुछ ऐसे मामले जिनमें बहुत अधिक पुराने नोट जमा कराए गए, अब आयकर विभाग की जांच के घेरे में हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों के पास आए एसबीएन को जटिल द्रुत गति की करेंसी सत्यापन एवं प्रसंस्करण प्रणाली (सीवीपीएस) के जरिये सत्यापित किया गया और उसके बाद उनकी गिनती करने के बाद उन्हें नष्ट कर दिया गया। एसबीएन से तात्पर्य 500 और 1,000 रुपये के बंद नोटों से है।
रिजर्व बैंक ने कहा कि एसबीएन की गिनती का काम पूरा हो गया है। कुल 15,310.73 अरब मूल्य के एसबीएन बैंकों के पास वापस आए हैं। सरकार ने 500 रुपये के बंद नोट के स्थान पर नया नोट तो जारी किया है लेकिन 1,000 रुपये के नोट के स्थान पर नया नोट जारी नहीं किया गया है। इसके स्थान पर 2,000 रुपये का नया नोट जारी किया गया है।
नोटों की छपाई पर 7,965 करोड़ रुपये खर्च
नोटबंदी के बाद 2016-17 में रिजर्व बैंक ने 500 और 2,000 रुपये के नए नोट तथा अन्य मूल्य के नोटों की छपाई पर 7,965 करोड़ रुपये खर्च किए, जो इससे पिछले साल खर्च की गई 3,421 करोड़ रुपये की राशि के दोगुने से भी अधिक है। 2017-18 (जुलाई 2017 से जून 2018) के दौरान केंद्रीय बैंक ने नोटों की छपाई पर 4,912 करोड़ रुपये और खर्च किए।
नोटबंदी को कालेधन, भ्रष्टाचार पर अंकुश तथा जाली नोटों पर लगाम लगाने के कदम के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन रिजर्व बैंक का कहना है कि एसबीएन में 500 और 1,000 के पकड़े गए जाली नोटों की संख्या क्रमश: 59.7 और 59.6 प्रतिशत कम हुई है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि पिछले साल की तुलना में 100 रुपये के जाली नोट 35 प्रतिशत अधिक पकड़े गए जबकि 50 रुपये के जाली नोटों की संख्या में 154.3 प्रतिशत का इजाफा हुआ। रिजर्व बैंक ने कहा कि 2017-18 में नए 500 रुपये के नोट की 9,892 जाली इकाइयां पकड़ी गईं, जबकि 2,000 रुपये के नोट की 17,929 जाली इकाइयां पकड़ी गईं। इससे पिछले साल यह आंकड़ा क्रमश: 199 और 638 था।