लोकसभा में बोलीं सुषमा स्वराज, भारत-चीन के बीच पूरी तरह सुलझ चुका है डोकलाम विवाद

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विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज ने बुधवार (1 अगस्त) को लोकसभा में डोकलाम का मुद्दा उठाए जाने पर कहा कि भारत-चीन के बीच इस विवाद को सुलझा लिया गया है। उन्होंने कहा कि भारत-चीन के बीच डोकलाम मुद्दा ‘परिपक्व कूटनीति’ के माध्यम से सुलझाया जा चुका है और इसके बाद से संबंधित क्षेत्र में यथास्थिति बरकरार है।

(HT File Photo)

लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान सुगत बोस के पूरक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि वुहान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक का कोई विशेष एजेंडा नहीं था और ऐसे में डोकलाम का मुद्दा भी उसमें शामिल नहीं था। उन्होंने कहा कि वुहान की बैठक की तैयारी के संदर्भ में वह खुद चीन गई थीं। वुहान की बैठक का तीन ध्येय था- दोनों नेताओं के बीच सहजता बढ़ाना, आपसी समझ बढ़ाना और परस्पर विश्चास बढ़ाना।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक विदेश मंत्री ने कहा कि यह बैठक इन तीनों ध्येय को हासिल करने में सफल रही। उन्होंने कहा कि वुहान की बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति चिनपिंग के बीच शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर बैठक और दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर बैठक से इतर मुलाकात हुई। स्वराज ने कहा कि ब्रिक्स शिखर बैठक से इतर हुई मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं में सहमित बनी कि दोनों देश की सेना को कहा जाएगा कि किसी विवाद की स्थिति में वे अपने स्तर से सुलझा लें।

उन्होंने कहा कि इसी सहमति के बाद अब चीन के रक्षा मंत्री भारत आ रहे हैं और इस साल के आखिर में चीन के विदेश मंत्री का भी भारत दौरा हो रहा है। दक्षिण चीन सागर में चीन के वर्चस्व से जुड़े सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा कि भारत की नीति स्पष्ट है कि दक्षिणी चीन सागर में नौवहन की स्वतंत्रता होनी चाहिए। इस दौरान सदन में प्रधानमंत्री मौजूद थे।

कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने चीन के राष्ट्रपति से मुलाकात के संदर्भ में सदन में प्रधानमंत्री के वकतव्य की मांग की। तृणमूल कांग्रेस के सुगत बोस ने कहा कि अब तक यह परंपरा रही है कि किसी भी महत्वपूर्ण शिखर बैठक के बाद प्रधानमंत्री सदन को अवगत कराएं। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि यह प्रश्नकाल है और विदेश मंत्री बयान देने में सक्षम हैं।

बता दें कि डोकलाम में पिछले साल उस समय भारत और चीन के बीच 73 दिन तक गतिरोध चला था जब भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को विवादित क्षेत्र में सड़क बनाने से रोक दिया था। 16 जून से शुरू हुआ गतिरोध 28 अगस्त को खत्म हुआ था। इस इलाके में चीनी सेना द्वारा किए जाने वाले सड़क निर्माण कार्य को भारतीय सैनिकों द्वारा रोके जाने के बाद यह गतिरोध शुरू हो गया था।

 

 

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