कर्नाटक में जारी सियासी संग्राम थमने का नाम नहीं ले रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त कर दिया है। राज्यपाल ने विधानसभा के सबसे सीनियर विधायक आरवी देशपांडे की अनदेखी कर एक ऐसे विधायक केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है, जो न केवल वरिष्ठताक्रम में नीचे है, बल्कि बीजेपी के विधायक हैं।
दरअसल, इससे पहले चर्चा थी की सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य होने की वजह से कांग्रेस के विधायक रघुनाथ विश्वनाथ देशपांडे को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाएगा। विधानसभा सचिवालय की तरफ से देशपांडे का नाम राज्यपाल के पास विचार के लिए भी भेजा गया था। इस बीच इस नियुक्ति को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने बोपैया को प्रोटेम स्पीकर बनाने का विरोध किया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जो बीजेपी ने किया है, वह नियमों के खिलाफ है। आदर्श तौर पर सबसे सीनियर सदस्य को इस पद के लिए चुना जाता है। दरअसल, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक केजी बोपैया पिछली विधानसभा के विवादास्पद स्पीकर रहे हैं, जिनके फैसले की आलोचना खुद सुप्रीमकोर्ट ने की थी।
कर्नाटक में केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने पर अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बीजेपी ने जो किया है, वो रूलबुक के खिलाफ है। इस नियुक्ति को गलत बताते हुए उन्होंने कहा कि इस नियुक्ति में नियमों की अनदेखी की गई है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ऐसी स्थिति में आदर्श तौर पर सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर बनाने की परंपरा रही है।
What the BJP has done is against the rule book. Ideally the senior most leader is supposed to hold that position: Abhishek Manu Singhvi, Congress on BJP MLA KG Bopaiah being appointed as pro-tem speaker. #Karnataka pic.twitter.com/1qdqZDSqbl
— ANI (@ANI) May 18, 2018
सिंघवी के अलावा रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि, (कर्नाटक के) गवर्नर ने वरिष्ठतम विधायक के बजाए केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करके एक बार फिर संविधान का एनकाउंटर किया है।
वहीं, बीजेपी नेता व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि केजी बोपैया को 2008 में भी उस समय के गवर्नर ने प्रोटेम स्पीकर बनाया गया था। बोपैया की उम्र उस समय आज से भी 10 साल कम थी। कांग्रेस की अपत्ति निराधार है। बोपैया की नियुक्ति पूरी तरह से नियमों के मुताबिक हुई है।
Shri KG Bopaiah was appointed as Pro Tem speaker even in 2008 by the then Governor. That time Bopaiah was 10 years younger than what he is today. The Congress is thus raising hoax objection. The appointment of Bopaiah Ji is as per rules and regulations. @BJP4India @BJP4Karnataka
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) May 18, 2018
बता दें कि प्रोटेम स्पीकर अस्थाई विधानसभा अध्यक्ष होता है। इसकी नियुक्ति राज्यपाल करता है और इसकी नियुक्ति आमतौर पर तब तक के लिए होती है जब तक विधानसभा अपना स्थायी विधानभा अध्यक्ष नहीं चुन लेती। प्रोटेम स्पीकर ही नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ ग्रहण कराएंगे और इसके बाद शक्ति परीक्षण होगा।
कल शाम 4 बजे होगा बहुमत परीक्षण
आपको बता दें कि कर्नाटक में जारी सियासी संग्राम के बीच सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (18 मई) को बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि कर्नाटक विधानसभा में कल यानी शनिवार (19 मई) शाम चार बजे बहुमत साबित किया जाए ताकि यह पता लगाया जा सके कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नव नियुक्त मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के पास राज्य में विधायकों का पर्याप्त संख्याबल है या नहीं।
न्यायमूर्ति एके सीकरी की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि सदन को फैसला लेने दें, और सबसे अच्छा तरीका शक्ति परीक्षण होगा। न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण भी पीठ का हिस्सा थे। मुख्यमंत्री की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सोमवार तक का वक्त मांगा था, लेकिन पीठ ने शक्ति परीक्षण कल यानी शनिवार को करने का आदेश दिया।
बीजेपी के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि फ्लोर टेस्ट कम से कम सोमवार को होना चाहिए। लेकिन कांग्रेस-जेडीएस इसके लिए तैयार नहीं थे। बता दें कि कांग्रेस-जेडीएस ने बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता देने के राज्यपाल के फैसले को चुनौती दी थी। गौरतलब है कि राज्य में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। ऐसे में प्रदेश की 224 सदस्यीय विधानसभा में 222 सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी को 104, कांग्रेस को 78 और जेडीएस+ को 38 सीटें मिली हैं। फिलहाल, बहुमत के लिए जादुई आंकड़ा 112 है।