सुप्रीम कोर्ट ने आधार को मोबाइल नंबर से जोड़ने की अनिवार्यता पर उठाए सवाल, कहा- हमने ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया

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पिछले दिनों से आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर देशभर में घमासान मचा हुआ है। सरकारी योजनाओं से लेकर नर्सरी में एडमिशन और मोबाइल सिम कार्ड खरीदने तक में आइडेंडिटी के लिए आधार को अनिवार्य कर दिया गया है। सभी सरकारी सेवाओं के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ सुनवाई कर रही है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (26 अप्रैल) आधार को मोबाइल नंबर से जोड़ने की अनिवार्यता पर सवाल उठाया है।

नवभारत टाइम्स के मुताबिक आधार मामले की सुनवाई कर रही देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि उसने कभी भी मोबाइल नंबर से आधार को जोड़ने का निर्देश नहीं दिया। बता दें कि पिछले काफी समय से बैंकिंग से लेकर तमाम सेक्टर्स की तरफ से उपभोक्ताओं पर आधार से मोबाइल नंबरों को जोड़ने का दबाव बनाने की बात सामने आई है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी को काफी अहम माना जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार ने 6 फरवरी 2017 को दिए गए उसके आदेश की गलत व्याख्या की है। सुप्रीम कोर्ट ने मोबाइल फोन को आधार से अनिवार्य रूप से जोड़ने के सरकार के फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि मोबाइल उपयोगकर्ताओं के अनिवार्य सत्यापन पर उसके पिछले आदेश को ‘औजार’ के रूप में प्रयोग किया गया।

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि ‘लोकनीति फाउंडेशन’ द्वारा दायर जनहित याचिका पर उसके आदेश में कहा गया था कि मोबाइल के उपयोगकर्ताओं को राष्ट्र सुरक्षा के हित में सत्यापन की जरूरत है। यह पीठ आधार और इसके 2016 के एक कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

संवैधानिक पीठ ने कहा कि, ‘असल में उच्चतम न्यायालय ने ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया लेकिन आपने इसे मोबाइल उपयोगकर्ताओं के लिए आधार अनिवार्य करने के लिए औजार के रूप में प्रयोग किया।’ संवैधानिक पीठ में मुख्य न्यायाधीश के अलावा जस्टिस एके सिकरी, जस्टिस एएन खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एके भूषण शामिल हैं।

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ( यूआईडीएआई ) की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि दूरसंचार विभाग की अधिसूचना ई केवाईसी प्रक्रिया के प्रयोग से मोबाइल फोनों के पुन: सत्यापन की बात करती है। उन्होंने बेंच से कहा कि टेलीग्राफ कानून सेवाप्रदाताओं की ‘लाइसेंस स्थितियों पर फैसले के लिए केंद्र सरकार को विशेष शक्तियां’ देता है।

इसपर संवैधानिक पीठ ने कहा कि ‘आप (दूरसंचार विभाग) सेवा प्राप्त करने वालों के लिए मोबाइल फोन से आधार को जोड़ने के लिए शर्त कैसे लगा सकते हैं? पीठ ने आगे अपनी बात में यह भी जोड़ा कि लाइसेंस समझौता सरकार और सेवा प्रदाताओं के बीच है। राकेश द्विवेदी ने कहा कि मोबाइल के साथ आधार को जोड़ने का निर्देश ट्राई की सिफारिशों के संदर्भ में दिया गया था। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना राष्ट्र के हित में है कि सिम कार्ड उन्हें ही दिए गए जिन्होंने इसके लिए आवेदन किया।

दरअसल, UIDAI के वकील उन आरोपों के संदर्भ में अपनी बात रख रहे थे जिसके तहत कहा जा रहा रहा कि सरकार नागरिकों के सर्विलांस की कोशिश कर रही है। वकील ने कहा कि टेलिग्राफ ऐक्ट के सेक्शन 4 के तहत सरकार के पास आधार को मोबाइल से लिंक करने का लीगल आधार था। उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम राष्ट्रीय हित के लिए भी उचित है।

वरिष्ठ वकील ने सुनवाई की शुरुआत में ही आरोप लगाया कि आधार स्कीम को गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा था। ऐसा इसलिए क्योंकि कोई भी बैंकों और टेलिकॉम फर्मों को जानकारी एकत्रित करने पर सवाल नहीं उठा रहा था। वकील ने जोर दिया कि बैंकों और टेलिकॉम कंपनियों के पास नागरिकों का ज्यादा बड़ा डेटा बेस है। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए वोडाफोन के पास आधार के बिना भी सूचनाओं का एक बड़ा डेटा बेस है।

उन्होंने कहा कि ऐसे में आधार डेटा उनके लिए महत्वहीन है। उन्होंने कहा कि बैंकों के पास भी बहुत ज्यादा सूचनाएं हैं। बैंक के पास किसी शख्स के हर ट्रांजैक्शन की खबर है। किसी ने अपने कार्ड से कब और कहां क्या खरीदा, बैंक सब जानता है। आधार यह सब जानकारी नहीं देता। यह जानकारी पहले से बैंकों के पास है और इसका कमर्शल इस्तेमाल भी किया जा रहा है।

आधार हर मर्ज का इलाज नहीं

बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने लगातार हो रही बैंक धोखाधड़ी रोकने और आतंकियों को पकड़ने में आधार से मदद मिलने की केंद्र सरकार की दलीलों से असहमति जताते हुए कहा था कि आधार हर मर्ज का इलाज नहीं है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया था कि आधार के जरिए बैंक धोखाधड़ी को रोका जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार से बैंक धोखाधड़ी को नहीं रोका सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने 5 अप्रैल को आधार पर सुनवाई के दौरान कहा था कि धोखाधड़ी करने वालों के साथ बैंक अधिकारियों की ‘साठगांठ’ रहती है और घोटाले इसलिए नहीं होते हैं, क्योंकि अपराधियों के बारे में कोई जानकारी नहीं रहती है। सर्वोच्च अदालत ने केंद्र के तर्क पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि महज कुछ आतंकियों को पकड़ने के लिए पूरी जनता से आधार के साथ अपने मोबाइल फोन को लिंक करने के लिए कहा जा रहा है।

 

 

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