‘जनता का रिपोर्टर’ द्वारा राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे को लेकर किए गए खुलासे के बाद राजनीतिक गलियारों में भूचाल आ गया है। कांग्रेस राफेल डील पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को बख्शने के मूड में नहीं हैं। सरकार और विपक्ष के बीच राफेल विमान सौदे को लेकर घमासान जारी है। एक ओर जहां केंद्र सरकार इस सौदे को गोपनीयता का हवाला देकर सार्वजनिक करने से बच रही है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस इसमें घोटाले का आरोप लगा रही है।
File Photoइस बीच राफेल डील को लेकर एक नया मोड़ आ गया है। दरअसल, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में कहा कि अगर मोदी सरकार विपक्ष के साथ राफेल सौदे का विवरण साझा करना चाहती है तो हमें कोई दिक्कत नहीं है। दरअसल, पिछले दिनों केंद्र सरकार ने फ्रांस के साथ गोपनीयता का हवाला देते हुए विपक्ष द्वारा राफेल डील की राशि बताए सार्वजनिक किए जाने की मांग को खारिज कर कर दिया था।
राफेल सौदे को लेकर मैक्रों ने कहा कि ये डील हम दोनों (भारत-फ्रांस) के लिए ही फायदेमंद रही है। राफेल के कई कलपुर्जे अब भारत में ही बनेंगे। ऐसे में ये यहां की इंडस्ट्री और यहां के कामगारों के लिए बेहतर है। उन्होंने कहा कि जहां तक सुरक्षा की बात है तो ये अपनी श्रेणी में बेहद उन्नत है। मौजूदा वक्त में इसका कोई मुकाबला नहीं है। फ्रांस के लिहाज से देखें तो ये सौदा हमारे लिए इसलिए खास है, क्योंकि भारत में संभावनाएं बहुत हैं। यह हमारे साझा समझौतों का एक हिस्सा है।
राफेल डील का पूरा ब्यौरा क्यों नहीं बता दिया जा रहा, ताकि सारे विवाद पर लगाम लगाई जा सके? इस सवाल पर मैक्रों ने कहा कि दोनों देशों के बीच जब किसी मामले पर बेहद सेंसिटिव बिजनेस इंटरेस्ट शामिल रहते हैं तो खुलासे करना उचित नहीं रहता। इस डील में कमर्शियल एग्रीमेंट के तहत प्रतियोगी कंपनियों को डील की बारीकियों की जानकारी नहीं होनी चाहिए। यह कमर्शियल एग्रीमेंट कुछ कंपनियों के हितों से जुड़े हैं लिहाजा इन पर गोपनीयता जायज है। डील की किन बातों को विपक्षी दल और संसद में लाना है, ये वहां की सरकार को तय करना चाहिए।
मोदी सरकार विपक्ष के साथ साझा कर सकती है राफेल डील का ब्योरा
मैक्रों ने कहा कि, ‘अगर मोदी सरकार राफेल डील के बारे में विपक्ष के साथ कोई बारीक जानकारी साझा करना चाहती है, तो हमें कोई दिक्कत नहीं है। फ्रांस इसका विरोध नहीं करेगा।’ उन्होंने कहा कि राफेल डील से दोनों देशों को फायदा हुआ है। ऐसी डील में दोनों देशों के संवेदनशील हित छिपे होते हैं। इसलिए कई बातें गोपनीय रखी जाती हैं। अगर भारत सरकार इस डील पर उठ रहे विवादों के बीच विपक्ष के सामने कुछ बारीकियों पर से पर्दा उठाना चाहती है, तो उनकी सरकार को इसमें कोई आपत्ति नहीं होगी।
दरअसल, पिछले दिनों राफेल की कीमत का खुलासा करने से रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण के इनकार कर दिया था। कांग्रेस सांसद राजीव गौड़ा के सवाल के लिखित जवाब में रक्षामंत्री ने एक रॉफेल विमान कितने में खरीदी गई है इसका ब्यौरा नहीं दिया था। सीतारमण ने संसद में कहा था कि अंतर्देशीय सरकारों के बीच हुए करार में गोपनीय सूचना होने के कारण फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमान सौदे के ब्यौरे का खुलासा नहीं किया जा सकता।
रक्षा मंत्री ने कहा था कि, ”भारत और फ्रांस के बीच राफेल विमान की खरीद को लेकर हुए अंतर-सरकार समझौता के अनुच्छेद 10 के अनुसार, 2008 में भारत और फ्रांस के बीच किए गए सुरक्षा समझौते के प्रावधान विमानों की खरीद, गुप्त सूचनाओं की सुरक्षा व सामग्री के आदान-प्रदान पर लागू हैं।” बता दें जनता का रिपोर्टर ने राफेल विमान सौदे को लेकर दो भागों (पढ़िए पार्टी 1 और पार्टी 2 में क्या हुआ था खुलासा) में बड़ा खुलासा किया था। जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में भुचाल आ गया।