झटका: फिलहाल GST के दायरे में नहीं आएगा पेट्रोल-डीजल, जेटली बोले- इस समय इसके पक्ष में नहीं हैं राज्य

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पेट्रोल-डीजल की महंगी कीमतों की मार झेल रहे लोगों को इससे राहत की फिलहाल उम्‍मीद नहीं करनी चाहिए। जी हां, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार (5 फरवरी) कहा कि राज्य इस समय पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में शामिल करने के पक्ष में नहीं हैं। इस तरह से उन्होंने इन पेट्रोलियम उत्पादों को तत्काल जीएसटी के दायरे में लाए जाने की संभावना को एक तरह से खारिज कर दिया।बता दें कि जीएसटी 1 जुलाई से लागू हुआ, लेकिन रियल एस्टेट के साथ-साथ कच्चा तेल, विमान ईंधन (एटीएफ), प्राकृतिक गैस, डीजल और पेट्रोल को इसके दायरे से बाहर रखा गया। इसका मतलब है कि इन उत्पादों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क और वैट जैसे शुल्क लगेंगे।

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक जेटली ने कहा कि, ‘अब तक राज्यों (अधिकतर) को जो मन है, वह इस समय इसे जीएसटी के दायरे में लाने के पक्ष में नहीं है, लेकिन मुझे भरोसा है कि जीएसटी अनुभव को देखते हुए प्राकृतिक गैस, रियल एस्टेट ऐसे क्षेत्र हैं जिसे इसके दायरे में लाया जाएगा और उसके बाद हम पेट्रोल, डीजल और पीने योग्य अल्कोहल को इसके अंतर्गत लाने का प्रयास करेंगे।’

पांच पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। इसका कारण इससे बड़ी मात्रा में केंद्र और राज्यों को मिलने वाला राजस्व है। जेटली ने कहा कि टैक्स को युक्तिसंगत बनाने का काम जारी रहेगा और जैसे ही राजस्व बढ़ता है, अंतत: 28 प्रतिशत कर स्लैब केवल अहितकर और विलासिता की वस्तुओं के लिए ही रहेगा।

उन्होंने कहा कि, ‘जीएसटी को लेकर अब कोई उठापटक नहीं हैं ।चीजें सामान्य हो चुकी हैं। अब लगभग हर बैठक में हम शुल्क को युक्तिसंगत बनाने में कामयाब हैं और यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी…।’ बता दें कि फिलहाल देश भर में पेट्रोल और डीजल की कीमतें पिछले तीन साल के उच्चतम स्तर पर हैं, जिसे लेकर केंद्र की मोदी सरकार आलोचना झेल रही है।

जानकारों का मानना है कि अगर पेट्रोल और डीजल पर भी यदि जीएसटी लागू कर दिया जाए तो स्थितियां खासी बदल सकती हैं। वहीं, वित्त सचिव हंसमुख अढिया ने एक समाचार चैनल के कार्यक्रम में साफ कर दिया कि राजस्व केंद्र और राज्य दोनों के लिए जरूरी है, इसलिए 28 फीसदी जीएसटी लगाकर पेट्रोल-डीजल बेचना संभव नहीं है।

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