केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने धर्मनिरपेक्ष लोगों का उपहास उड़ाने वाला बयान देकर एक और विवाद को जन्म दे दिया है। बेंगलुरु में एक सभा के दौरान हेगड़े ने लोगों से बात करते हुए कहा है कि जो लोग खुद को धर्मनिरपेक्ष और बुद्धिजीवी मानते हैं उनकी अपनी खुद की कोई पहचान नहीं होती और वह अपनी जड़ों से अनजान होते हैं। साथ ही हेगडे ने कहा कि भविष्य में भारत का संविधान बदल सकता है।उन्होंने कहा कि वह संविधान का सम्मान करते हैं, लेकिन यह आने वाले दिनों में बदलेगा। हम उसी के लिए यहां हैं और इसलिए हम आए हैं। बता दें कि उत्तर कन्नड़ से पांच बार लोकसभा सदस्य रहे हेगड़े का विवादों से पुराना नाता है। इससे पूर्व कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के लिए कथित तौर पर अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने वाले हेगड़े के खिलाफ बेलागावी जिले के कित्तूर में मामला दर्ज किया गया था।
अपने नफरत भरे भाषणों के लिए 49 वर्षीय हेगड़े के खिलाफ पूर्व में भी कई मामले दर्ज किये जा चुके हैं। सोमवार को हेगड़े ने जनसभा में कहा कि एक नई परंपरा चलन में है जिसमें लोग अपने आप को धर्मनिरपेक्ष बताते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि उन्हें खुशी होगी अगर कोई यह दावा गर्व से करे कि वह मुस्लिम, ईसाई, लिंगायत, ब्राह्मण या हिंदू है।
केंद्र सरकार में कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री हेगड़े ने कहा, ‘मुझे खुशी होगी क्योंकि वह व्यक्ति अपनी रगों में बह रहे खून के बारे में जानता है। लेकिन मुझे यह नहीं पता कि उन्हें क्या कहकर बुलाया जाए जो अपने आप को धर्मनिरपेक्ष बताते हैं।’
कोप्पल जिले के कुकानूर में ब्राह्मण युवा परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए हेगड़े ने कहा, ‘वे लोग जो अपनी जड़ों से अनभिज्ञ होते हुए खुद को धर्मनिरपेक्ष कहते हैं, उनकी खुद की कोई पहचान नहीं होती। उन्हें अपनी जडों का पता नहीं होता, लेकिन वे बुद्धिजीवी होते हैं।’
सिद्धरमैया ने किया पलटवार
इस बयान के पलटवार में हेगड़े पर हमला करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि मंत्री ने संविधान नहीं पढ़ा है, वह संसदीय या राजनीतिक भाषा नहीं जानते। उन्होंने कहा कि हेगड़े सामाजिक व्यवस्था के बारे में नहीं जानते हैं और विभिन्न धर्मों के लोग भारत में रहते हैं। सिद्धारमैया ने हुबली में कहा, ‘देश में प्रत्येक व्यक्ति भारतीय है और हर धर्म को समान अधिकार और अवसर है। उन्हें इसकी बुनियादी जानकारी नहीं है।’