दिल्ली हाई कोर्ट ने पत्रकार अर्णब गोस्वामी और उनके रिपब्लिक टीवी चैनल को कांग्रेस सांसद शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले से जुड़ी खबरें प्रसारित करने या इस विषय पर परिचर्चा कराने से रोकने की मांग को शुक्रवार (1 दिसंबर) को खारिज कर दिया, हालांकि उनसे कांग्रेस सांसद के चुप रहने के अधिकार का सम्मान करने को कहा।न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि खबर प्रसारित करने के अधिकार पर रोक नहीं लगायी जा सकती, लेकिन संतुलन कायम किये जाने की जरूरत है। हाईकोर्ट ने गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी को सुनंदा की मौत से जुड़ी किसी खबर को चलाने से पहले उस पर थरूर की राय जानने के लिए उनको अग्रिम नोटिस देने को कहा।
न्यूज एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक न्यायाधीश ने कहा कि हर व्यक्ति को चुप रहने का अधिकार है। उन्हें किसी मुद्दे पर बोलने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने गोस्वामी और चैनल के खिलाफ थरूर द्वारा दायर दो करोड़ रुपये की मानहानि के तीन मुकदमों पर यह आदेश दिया।
कांग्रेस नेता ने पत्रकार और चैनल पर सुनंदा की रहस्यमयी मौत से जुड़ी खबर के प्रसारण के समय उनके खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी करने को लेकर ये मामले दायर किये थे। बता दें कि सुनंदा 17 दिसंबर, 2014 को दक्षिणी दिल्ली के एक पांच सितारा होटल में रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत पायी गयी थी।
थरूर का आरोप है कि उनके गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी वकील द्वारा 29 मई को दिये गए आासन के बावजूद वे उनको बदनाम करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। बता दें कि 29 मई 2017 को हाईकोर्ट ने अर्नब गोस्वामी को निर्देश देते हुए कहा था कि आप अपने चैनल पर इस तरह से किसी का नाम (थरूर) नहीं ले सकते।
कोर्ट ने कहा था कि पत्रकार और उनका चैनल सुनंदा की मौत की जांच के संबंध में तथ्यों पर आधारित खबरें दिखा सकता है, लेकिन थरूर को अपराधी नहीं बता सकता। बता दें कि थरूर दिल्ली हाई कोर्ट में अर्नब गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी के खिलाफ दो करोड़ रुपये का मानहानि का मुकदमा दायर कर चुके हैं।