क्या लड़ाकू विमान राफेल की खरीदारी में बड़ा घोटाला हुआ है? क्या उद्योगपति अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए राफेल डील किया गया? क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपीए सरकार के दौरान फ्रांसीसी कंपनी के साथ 126 राफेल लड़ाकू विमानों के रक्षा सौदे को रद्द कर अपने दोस्त (अनिल अंबानी) को करोड़ों रुपये का फायदा पहुंचाने के लिए ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ से खिलवाड़ किया है? कांग्रेस ने यह सभी आरोप मंगलवार (14 नवंबर) को ‘जनता का रिपोर्टर’ द्वारा राफेल डील पर किए गए एक खुलासे के बाद लगाया है।मंगलवार को कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फेंस कर मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि ‘जनता का रिपोर्टर’ ने जो खुलासा हुआ है उसके मुताबिक मोदी सरकार ‘राष्ट्रीय हित और राष्ट्रीय सुरक्षा’ के साथ खिलवाड़ किया है जिसे माफ नहीं किया जा सकता है। कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने सुरजेवाला ने राफेल एयरक्राफ्ट खरीद में मोदी सरकार पर घोटाले का आरोप लगाया है। सुरजेवाला का कहना है कि राफेल खरीद में कोई पारदर्शिता नहीं है।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक पटल (जनता का रिपोर्टर) पर उपलब्ध तथ्यों के आधार पर राफेल एयरक्राफ्ट की खरीद में घोटाले की बू आ रही है। सुरजेवाला ने कहा कि पब्लिक एक्सचेकर को राफेल एयरक्राफ्ट की खरीद में नुकसान पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 10 अप्रैल 2015 को पीएम मोदी फ्रांस जाकर अचानक बगैर रक्षा मंत्री के यह घोषणा कर दिया कि उनकी सरकार 36 एयरक्राफ्ट फ्रांस से खरीदेंगे।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि संयोग से जब वह (पीएम मोदी) फ्रांस गए तो उनके साथ एक और बड़े उद्योगपति और उनके मित्र अनिल अंबानी (रिलायंस डिफेंस के मालिक) उस समय मौजूद थे। उन्होंने कहा कि 30 जुलाई 2015 को भारत सरकार जो यूपीए सरकार के दौरान 126 लड़ाकू विमान खरीदने का टेंडर प्रक्रिया थी, उसे तत्काल प्रभाव से आदेश कर रद्द कर दिया।
उन्होंने कहा कि उसके बाद 23 सितंबर 2016 को भारत सरकार फ्रांस की देसाल्त एविएशन से 36 लड़ाकू विमान खरीदने का समझौता करती है। उन्होंने आरोप लगाया कि उसके 10 दिन के अंदर ही 3 अक्टूबर 2016 को अनिल अंबानी की कंपनी ने देसाल्त एविएशन से लड़ाकू विमानों के प्रोडक्शन को लेकर समझौता कर लिया। उन्होंने दावा किया कि जहाजों की कीमत 526 करोड़ है जबकि सौदा 1571 करोड़ का हुआ है।
रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि 20 अगस्त 2007 में 126 लड़ाकू एयरक्राफ्ट खरीदने के लिए नोटिस जारी की गई थी। इस डील के लिए दो कंपनियां सामने आईं। जिनमें से राफेल बनाने वाली कंपनी देसाल्त एविएशन का चयन किया गया था। सौदे की यह शर्त थी कि 18 राफेल विमान फ्रांस में बनेंगे और कंपनी की मदद से 108 एयरक्राफ्ट भारत मे बनेंगे। लेकिन पीएम मोदी ने फ्रांस दौरे के दौरान 36 एयरक्राफ्ट सीधे तौर पर फ्रांस से खरीदने की घोषणा कर दी।
सुरजेवाला ने मोदी सरकार से सवाल पूछा कि 36 राफेल लड़ाकू विमान यूपीए सरकार के दौरान किए सौदे के मुकाबले बहुत अधिक महंगे क्यों खरीद रही है? उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना के लिए लड़ाकू विमानों की खरीद में एक बहुत बड़ा घोटाला हुआ है। इस डील के बाद सरकारी खजाने को होने वाले नुकसान को सार्वजनिक ना कर सरकार ने षड्यंत्रकारी रूप से चुप्पी साधे रखी है।
कांग्रेस के प्रेस कॉन्फेंस को न्यूज चैनलों में नहीं मिली जगह
‘जनता का रिपोर्टर’ के इस खुलासे के बाद सोशल मीडिया पर पूरे दिन चर्चा का विषय बना रहा है। लेकिन भारतीय न्यूज चैनलों ने सुरजेवाला के प्रेस कॉन्फेंस को ‘ब्लैक आउट’ कर दिया। अब सवाल उठता है कि क्या चैनलों द्वारा कांग्रेस के इस प्रेस कॉन्फेंस को इसलिए ब्लैक आउट कर दिया गया, क्योंकि इस मामले में प्रधानमंत्री और अनिल अंबानी आलोचनाओं के घेरे में हैं?
बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब चैनलों ने मोदी सरकार के सामने आत्मसमर्पण किया हो। इससे पहले भी नोटबंदी के बाद लगातार गिरती जीडीपी और चरमरा रही अर्थव्यवस्था लेकर जब बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार और वित्त मंत्री अरुण जेटली को आड़े हाथों लिया था उस वक्त भी कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने एक प्रेस कॉन्फेंस किया था, जिसे NDTV और मिरर नाउ को छोड़ सभी चैनलों ने ब्लैक आउट कर दिया था।
चिदंबरम जब प्रेस कॉन्फेंस कर रहे थे उस वक्त देश के प्रमुख अंग्रेजी न्यूज चैनलों ने इसे लाइव दिखाने की जहमत नहीं उठाई थी, जबकि उस दिन की यह सबसे बड़ी खबर थी। इसके अलावा कांग्रेस नेता मंत्री कपिल सिब्बल ने भी जब एक न्यूज पोर्टल की रिपोर्ट पर मीडिया को संबोधित करते हुए दावा किया था कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय अमितभाई शाह के स्वामित्व वाली कंपनी ने नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद कारोबार में अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ोतरी की है, उस प्रेस कॉन्फेंस को करीब सभी चैनलों ने ब्लैक आउट कर दिया था।