कर्नाटक विधानसभा ने सोमवार(25 सितंबर) को 21 विधायकों की सैलरी रोकने का आदेश देकर उन्हें सकते में डाल दिया है, इन सभी विधायकों पर लाभ के पद पर आसीन होने का आरोप है। राज्य सचिवालय के अकाउंट विंग ने इसी आरोप में विधायकों के विभिन्न भत्ते भी रोकने के आदेश दिए हैं।
फाइल फोटो- कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैयाबता दें कि, कर्नाटक में कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार है। बेंगलुरु मिरर की ख़बर के मुताबिक, यह फैसला ऐडवोकेट जनरल और अकाउंटेंट जनरल की राय के बाद लिया गया। राज्य सचिवालय के सूत्रों ने बताया कि लाभ के पद पर आसीन होने का भ्रम उस समय शुरू हुआ, जब राज्य सरकार ने कुछ विधायकों को विभिन्न राज्य बोर्डों और निगमों का अध्यक्ष नियुक्त किया।
उन्होंने कहा, सरकारी आदेश के मुताबिक, नियुक्ति के बाद इन विधायकों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है और उन्हें हाउस रेंट, यात्रा, टेलीफोन और मेडिकल भत्ते का भुगतान किया गया।
इनमें से कुछ विधायकों ने राज्य सचिवालय को पत्र लिखकर उनसे विधायक के रूप में अपनी सैलरी और भत्ता मांगा था। साथ ही उन्होंने बताया कि उनके राज्य बोर्डों के द्वारा दिए जा रहे पारिश्रमिक से अलग था। इस बात को लेकर भ्रम था कि क्या इन विधायकों को सचिवालय से वेतन दिया जाए या उन्हें अपने अपने बोर्ड से पैसा लेने के लिए कहा जाए।
इस भ्रम को दूर करने के लिए विधानसभा सचिवालय ने कर्नाटक के ऐडवोकेट जनरल और अकाउंटेंट जनरल से राय मांगी थी और उनसे इस भ्रम को दूर करने के लिए कहा था।
ख़बरों के मुताबिक, सचिवालय को भेजे जवाब में एडवोकेट जनरल ने कहा कि ऐसे विधायकों को दोनों जगहों से वेतन-भत्ते नहीं मिल सकते। बताया जा रहा है कि, एडवोकेट जनरल ने भी ऐसी राय दी। बताया जा रहा है कि राज्य विधानसभा के इतिहास में इस तरह का फैसला पहली बार लिया गया है।