सोशल मीडिया पर किसी भी पोस्ट या तस्वीर को शेयर करने से पहले आपको अपने दिमाग से पता लगाना चाहिए कि वो मैसेज सच है या झूठ। क्योंकि इन दिनों सोशल मीडिया पर गलत जानकारी शेयर कर समाज को बांटने की भरपूर कोशिश की जा रही है। इन सबके बीच अच्छी बात यह है कि इस मंच पर ऐसे लोग भी मौजूद हैं, जिससे आप फर्जी मैसेज को शेयर कर बच नहीं सकते हैं।
PHOTO: Starsunfolded.comयहां एक से बढ़कर एक एक्पर्ट आप पर नजर गड़ाए बैठे हुए हैं, जो आपके गलत मैसेज को पलभर में पोल खोल देंगे और आप ट्रोल हो जाएंगे। ताजा मामला अभिनेता और सांसद परेश रावल से जुड़ा है, जो समाज में एक नफरत फैलाने वाले ट्वीट कर बुरे तरीके फंस गए हैं और उन्हें जमकर ट्रोल किया जा रहा है।
दरअसल, रविवार(10 सितंबर) को अभिनेता से राजनेता बने भारतीय जनता पार्टी के सांसद परेश रावल ने बिना नाम लिए सांप्रदायिकता के खिलाफ लिखने वाली महिला पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के बाद कर्नाटक सरकार द्वारा उन्हें राजकीय सम्मान दिए जाने पर सवाल उठाते हुए ट्वीट कर लिखा, ‘मुंबई ताज हमले में शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन बेंगलुरु से हैं। उन्हें राज्य सरकार द्वारा 21 बंदूकों की सलामी नहीं दी गई!’
दरअसल, परेश को लगा कि वर्ष 2008 में कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार थी। जबकि कुछ देर बाद सोशल मीडिया यूजर्स ने उन्हें याद दिलाया कि उस दौरान कांग्रेस नहीं बल्कि बीजेपी की सरकार थी। साथ ही लोगों ने बीजेपी सांसद को याद दिलाया कि शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का 29 नंवबर 2008 को पूरे राजकीय सम्मान के साथ बेंगलुरु में अंतिम संस्कार किया गया था।
इस दौरान उन्हें 21 बंदूकों की सलामी भी दी गई थी और हजारों की संख्या में लोग उनकी अंतिम विदाई मेें शामिल हुए थे। यूजर्स ने सबूत के तौर पर कुछ अखबारों के लिंक भी शेयर किए हैं। हालांकि, ट्रोल होने के बाद परेश रावल ने बाद में अपनी अपनी देते हुए एक और ट्वीट कर माफी मांगी और कहा कि ‘नहीं’ शब्द का इस्तेमाल गलती से हो गया।
परेश के इस ट्वीट को लेकर उन्हें जमकर निशाना साधा जा रहा है। लोगों का कहना है कि परेश रावल ऐसे ट्वीट समाज में नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं। बता दें कि इससे पहले भी बीजेपी सांसद कई बार फर्जी ट्वीट को ट्रोल हो चुके हैं। इसके बावजूद वह बार-बार ऐसे फर्जी ट्वीट कर लोगों के बीच नफरत फैलाने का काम करते रहते हैं।