उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के खतौली में शनिवार(19 अगस्त) शाम पुरी-हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस ट्रेन के 14 डिब्बे पटरी से उतर जाने के कारण कम से कम 23 यात्रियों की मौत हो गई, जबकि 156 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए।खतौली मुजफ्फरनगर से करीब 40 किलोमीटर दूर है। हादसे के बाद शुरुआती जांच में रेलवे सिस्टम की घोर लापरवाही सामने आ रही है।
(PTI Photo)हादसे के वक्त ऐसा कहा जा रहा था कि इसके पीछे आतंकी साजिश भी हो सकती है, लेकिन बाद में अधिकारियों के बयान से साफ हो गया है कि रेल हादसे के लिए आतंकी नहीं बल्कि लापरवाही जिम्मेदार है। यूपी के गृह विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार ने कहा कि यह मामला आतंकी वारदात नहीं लगता है।
उन्होंने किसी भी साजिश से इनकार करते हुए कहा कि इसे आतंकी घटना करार नहीं दिया जा सकता। अरविंद कुमार ने कहा कि ट्रैक पर मरम्मत का काम चल रहा था, जिसके बारे में सूचना देने में लापरवाही बरती गई। कुमार ने बताया कि ट्रैक पर मरम्मत कार्य के बारे में ड्राइवर को जानकारी नहीं थी। अचानक ब्रेक लगाए जाने की वजह से ट्रेन पटरी से उतर गई।
इतनी बड़ी घटना के बावजूद रेलवे ने थपथपाई अपनी पीठ
इतनी बड़ी घटना होने के बाद हर तरफ रेलवे की आलोचना हो रही है। हालांकि, रेल मंत्रालय इससे बेपरवाह है। जी हां, अपनी लापरवाही पर पर्दा डालने के लिए रेल मंत्रालय ने ट्विटर पर इंडिया टुडे द्वारा किए गए एक सर्वे को शेयर कर मुजफ्फरनगर ट्रेन हादसे में हुई घोर लापरवाही पर लिपापोती करने की नाकाम कोशिश की है। हालांकि, आलोचनाओं का शिकार होने के फौरन बाद रेल मंत्रालय ने ट्वीट को डिलीट कर दिया।
हालांकि, रेल मंत्रालय द्वारा इस सर्वे को शेयर करते ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और यूजर्स रेल मंत्री सुरेश प्रभु और उनके मंत्रालय पर भड़क गए। लोगों ने रेल मंत्रालय को जमकर लताड़ लगाई। लोगों का कहना है कि रेलवे की घोर लापरवाही की वजह से 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई और रेल मंत्रालय अपनी नाकामी को छूपाने के लिए इस सर्वे का सहारा ले रहा है।
क्या है इस सर्वे में?
दरअसल, निजी समाचार चैनल आजतक, इंडिया टुडे और कार्वी इंसाइट लिमिटेड की ओर से किए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि अगर देश में आज चुनाव हों तो भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) फिर से अगला चुनाव जीत सकती है।
इस सर्वे के मुताबिक अगर अभी चुनाव हुए तो एनडीए को 349 सीटें और यूपीए को 75 और अन्य को 119 सीटें मिल सकती हैं। अगर वोट प्रतिशत की बात की जाए तो सर्वे में एनडीए को 42 फीसदी और यूपीए को 28 फीसदी वोट मिलने की संभावना जताई गई है।
सर्वे में रेल मंत्रालय की सराहना
इस सर्वे में रेल मंत्रालय की जमकर सराहना की गई है। सर्वे के मुताबिक, देश के कुल 58 फीसदी लोगों ने पिछली सरकारों की तुलना में मोदी सरकार के तीन साल के दौरान रेल मंत्रालय के कामकाज को बेहतर बताया है। जिसमें 63 फीसदी शहरी और 56 प्रतिशत ग्रामीण लोगों द्वारा रेलवे में हुए बदलाव की सराहना की गई है।
सर्वे में पीएम मोदी की कैबिनेट के मंत्रियों पर भी सवाल किए गए। जिसमें अरुण जेटली की कामकाज को 28 फीसदी, राजनाथ सिंह 26 फीसदी, सुषमा स्वराज 21 फीसदी, एम वैंकेया नायडू 16 फीसदी, नितिन गडकरी 14 फीसदी और सुरेश प्रभु की परफॉर्मेंस को 10 प्रतिशत लोगों ने पसंद किया।
प्रशासनिक चूक से गईं 23 यात्रियों की जानें
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे की बड़ी प्रशासनिक चूक के कारण उत्कल एक्सप्रेस हादसा हुआ। जिस स्थान पर ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हुई, वहां ट्रैक मरम्मत का कार्य चल रहा था। जबकि नियमों के मुताबिक, ट्रैक मरम्मत होने पर ट्रेन प्रतिबंधित रफ्तार पर चलाई जाती है। लेकिन हादसे के वक्त उत्कल एक्सप्रेस 106 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल रही थी।
हिंदुस्तान में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रेन परिचानल से जुड़े सूत्रों ने बताया कि उत्कल एक्सप्रेस ट्रेन लोको पॉयलेट राजेंद्र सिंह पाल व सहायक लोको पॉयलट रामाशीष (निजामुद्दीन मुख्यालय) चला रहे थे। दिल्ली से हरिद्वार जाते हुए उन्हें खतौली स्टेशन (मेरठ-सहारनपुर सेक्शन) के पास जोरदार झटका लगा।
सहायक लोको पॉयलेट रामशीष ने बताया कि जिस समय ट्रेन का झटका लगा, उस समय रफ्तार 106 किलोमीटर प्रति घंटा थी। उन्होंने बताया कि उत्तर रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी डिप्टी चीफ इंजीनियर (कंस्ट्रक्शन) शिवम द्विवेदी मौके पर मौजूद थे और ट्रैक मरम्मत का कार्य करा रहे थे।
सूत्रों के अनुसार, मरम्मत करने की सूचना कंट्रोल रूम को नहीं दी गई। कंट्रोल रूम से ड्राइवरों को रफ्तार कम करने का संदेश दिया जाता है। लेकिन उत्कल एक्सप्रेस ट्रेन के ड्राइवरों को रफ्तार कम करने की सूचना नहीं मिली। यह सूचना लिखित, वाकीटॉकी अथवा ट्रैक पर लाल झंडी दिखाकर दी जाती है।