उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य में सभी धर्मो के लोगों के लिए विवाह रजिस्ट्रेशन (पंजीकरण) अनिवार्य कर दिया है। इसमें अल्पसंख्यक समुदाय भी शामिल है। यह व्यवस्था फिलहाल नवविवाहित जोड़ों के लिए है। पहले से विवाहित लोगों के लिए अभी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। योगी कौबिनेट ने राज्य में होने वाले विवाहों का पंजीकरण अनिवार्य करने के एक प्रस्ताव को मंगलवार(1 अगस्त) को मंजूरी दे दी।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में यह फैसला किया गया। बैठक के बाद कैबिनेट फैसले की जानकारी देते हुए सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियमावली 2017 को लागू करने का प्रस्ताव मंजूर किया है।
उन्होंने बताया कि इसको लागू करने का काम स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग करेगा। बयान के मुताबिक, नियमावली के प्रारंभ होने के पश्चात संपन्न विवाह या पुनर्विवाह, जहां विवाह के पक्षकारों में से कोई एक उत्तर प्रदेश राज्य का स्थायी निवासी हो अथवा विवाह उत्तर प्रदेश राज्य की सीमा में संपन्न हुआ हो, का पंजीकरण कराया जाना अनिवार्य होगा।
सिंह ने कहा कि विवाह के पक्षकार स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग की वेबसाइट पर निर्धारित प्रारूप पर या राज्य सरकार द्वारा समय समय पर निर्धारित प्रारूप पर पंजीकरण के लिए आनलाइन आवेदन कर विवाह का पंजीकरण करा सकेंगे।रिपोर्ट के अनुसार आवेदन पत्र में पति एवं पत्नी का आधार कार्ड नंबर भरा जाना अनिवार्य होगा।
सरकार के मुताबिक, इसके लिए एक ऑनलाइन पोर्टल भी बनाया जाएगा। जिस पर सभी को विवाह रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। सभी का विवाह रजिस्ट्रेशन में फोटो भी लगेगा। विवाह के एक साल के अंदर रजिस्ट्रेशन कराने पर 10 रुपये फीस होगी और विवाह के एक साल के बाद रजिस्ट्रेशन कराने पर 30 रुपये फीस होगी। इस तरह वर्ष के अंतर के हिसाब से फीस बढ़ती जाएगी।