सर्वे में हुआ खुलासा, नोटबंदी से 15 लाख लोगों को गंवानी पड़ी नौकरियां

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26 मई 2017 को मोदी सरकार के तीन साल पूरे हो गए। 26 मई 2014 को ही नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। चुनाव जीतने के तीन साल बाद बीजेपी और केंद्र सरकार का दावा है कि उसने अभूतपूर्व काम किया है। लेकिन विपक्ष का आरोप है कि मोदी सरकार हर मोर्चे पर नाकाम रही है।

फाइल फोटो।

कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी ने हर साल दो करोड़ नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन सलाना एक लाख 35 हजार नौकरी भी नहीं पैदा कर पा रही है। सरकार भले ही कांग्रेस के आरोपों को खारिज करे, लेकिन हकीकत यही है कि प्रति वर्ष दो करोड़ युवाओं को रोजगार देने का वायदा करके सत्ता में आने वाली मोदी सरकार इसे पूरा करने में असफल रही है।

इस बीच एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि पिछले वर्ष 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषणा किए गए नोटबंदी के बाद से भारत में करीब 15 लाख लोगों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी हैं। इस सर्वे के मुताबिक, अगर कमाने वाले एक शख्स के ऊपर घर के चार लोग आश्रित हैं तो इस हिसाल से नोटबंदी से करीब 60 लाख से ज्यादा लोगों के ऊपर सीधे तौर पर असर पड़ा है और उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ा।

जनसत्ता ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि सेन्टर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनोमी (सीएमआईई) ने सर्वे में त्रैमासिक वार नौकरियों का आंकड़ा पेश किया है। सीएमआईई के कंज्यूमर पिरामिड हाउसहोल्ड सर्वे से पता चलता है कि नोटबंदी के बाद जनवरी से अप्रैल 2017 के बीच देश में कुल नौकरियों की संख्या घटकर 405 मिलियन रह गई थी जो कि सितंबर से दिसंबर 2016 के बीच 406.5 मिलियन थी। यानी नोटबंदी के बाद नौकरियों की संख्या में करीब 1.5 मिलियन यानी 15 लाख की कमी आई।

रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर में हुए हाउसहोल्ड सर्वे में जनवरी से अप्रैल 2016 के बीच युवाओं के रोजगार और बेरोजगारी से जुड़े आंकड़े जुटाए गए थे। इस सर्वे में कुल 1 लाख 61 हजार, 167 घरों के कुल 5 लाख 19 हजार, 285 युवकों का सर्वे किया गया था। सर्वे में कहा गया है कि तब 401 मिलियन यानी 40.1 करोड़ लोगों के पास रोजगार था।

यह आंकड़ा मई-अगस्त 2016 के बीच बढ़कर 403 मिलियन यानी 40.3 करोड़ और सितंबर-दिसंबर 2016 के बीच 406.5 मिलियन यानी 40.65 करोड़ हो गया। इसके बाद जनवरी 2017 से अप्रैल 2017 के बीच रोजगार के आंकड़े घटकर 405 मिलियन यानी 40.5 करोड़ रह गए। इन रिपोर्टों से एक बात साफ है कि नोटबंदी से कुल 15 लाख लोगों की नौकरियां खत्म हो गईं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि आठ नवंबर 2016 को लागू हुई नोटबंदी का व्यापक प्रभाव इन महीनों में पड़ा है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सितंबर से दिसंबर 2016 में खत्म हुई तिमाही में भी नोटबंदी के आंशिक प्रभाव पड़े हैं।सर्वे रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जनवरी 2016 से अक्टूबर 2016 तक श्रमिक भागीदारी 46.9 फीसदी थी जो फरवरी 2017 तक घटकर 44.5 फीसदी, मार्च तक 44 फीसदी और अप्रैल 2017 तक 43.5 फीसदी रह गई।

बता दें कि इससे पहले पिछले दिनों मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने के मौके पर नागरिक जुड़ाव मंच लोकल सर्किल्स ने एक सर्वेक्षण किया था है। जिसमें लोगों ने बताया कि केंद्र सरकार ने बेरोजगारी कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन शायद इसका असर अब आम लोगों के ऊपर नहीं हुआ है।

जब लोगों से यह सवाल पूछा गया था क्या भारत में बेरोजगारी दर कम हुई है तो 63 प्रतिशत लोगों ने कहा था कि बेरोजगारी दर में कोई कमी नहीं आई है, जबकि 21 प्रतिशत लोगों ने कहा कि बेरोजगारी दर में कमी आई है। इस सर्वे में 40 हजार से भी ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया और 20 हजार से भी अधिक वोट डाले गए थे।

 

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