केंद्र की मोदी सरकार ने शुक्रवार(14 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बाल पोर्नोग्राफी के मुद्दे से निपटने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इससे संबद्ध करीब 3,500 वेबसाइटों को पिछले महीने ब्लॉक कर दिया गया है। सरकार ने न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ को बताया कि उसने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को बाल पोर्नोग्राफी सामग्री तक पहुंच रोकने के लिए स्कूलों में जैमर लगाने पर विचार करने के लिए कहा है।
प्रतीकात्मक तस्वीर।अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने पीठ को बताया कि स्कूल बसों में जैमर लगाना संभव नहीं है। पीठ में न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति एम एम शांतनागुदार भी शामिल हैं। उन्होंने पीठ को बताया कि हम लोग ऐसे कदमों के साथ आ रहे हैं जो ऐसी समग्र स्थिति से निपटेंगे।
पिंकी ने कहा कि स्कूल बसों में जैमर संभव नहीं है। ऐसी वेबसाइटों तक पहुंच रोकने के लिए स्कूलों में जैमर लगाया जा सकता है या नहीं, इस संबंध में सरकार ने सीबीएसई को विचार करने के लिए कहा है। सरकार ने अदालत को बताया कि वह बाल पोर्नोग्राफी रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेगी।
शीर्ष अदालत ने केंद्र को दो दिनों के अंदर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है। शीर्ष अदालत देशभर में बाल पोर्नोग्राफी के खतरे को रोकने के लिए समुचित कदम उठाने के संबंध में केंद्र को निर्देश देने की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।