पशुओं की खरीद-बिक्री को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से जारी अधिसूचना पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। मंगलवार(11 जुलाई) को इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की अधिसूचना पर देशभर में रोक लगाने के मद्रास हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाई।
file photoमद्रास हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार इस अधिसूचना में नियमों में बदलाव कर रिनोटिफाई नहीं करता, रोक जारी रहेगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार जब दोबारा अधिसूचना जारी करे तो लोगों को पर्याप्त वक्त दिया जाना चाहिए।
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पशु बाजार में वध के लिए पशुओं के खरीद-बिक्री पर रोक लगाने वाली अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था। हैदराबाद निवासी याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी और कहा था कि केंद्र का नोटिफिकेशन ‘भेदभाव पूर्ण और असंवैधानिक’ है, क्योंकि यह मवेशी व्यापारियों के अधिकारों का हनन करता है।
दरअसल, केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर वध के लिये पशु बाजारों में मवेशियों की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे निर्यात एवं मांस तथा चमड़ा कारोबार प्रभावित होने की संभावना है। सरकार ने जीवों से जुड़ीं क्रूर परंपराओं पर भी प्रतिबंध लगाया है, जिसमें उनके सींग रंगना तथा उन पर आभूषण या सजावट के सामान लगाना शामिल है।
पर्यावरण मंत्रालय ने पशु क्रूरता निरोधक अधिनियम के तहत सख्त ‘पशु क्रूरता निरोधक (पशुधन बाजार नियमन) नियम, 2017’ को अधिसूचित किया है। इसके तहत पशु बाजारों से मवेशियों की खरीद करने वालों को लिखित में यह वादा करना होगा कि इनका इस्तेमाल खेती के काम में किया जाएगा, न कि मारने के लिए। इन मवेशियों में गाय, बैल, सांड, बधिया बैल, बछड़े, बछिया, भैंस और ऊंट शामिल हैं।
अधिसूचना के मुताबिक पशु बाजार समिति के सदस्य सचिव को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी शख्स बाजार में अवयस्क पशु को बिक्री के लिये न लेकर आए। इसमें कहा गया है कि किसी भी शख्स को पशु बाजार में मवेशी को लाने की इजाजत नहीं होगी जब तक कि वहां पहुंचने पर वह पशु के मालिक द्वारा हस्ताक्षरित यह लिखित घोषणा-पत्र न दे जिसमें मवेशी के मालिक का नाम और पता हो और फोटो पहचान-पत्र की एक प्रति भी लगी हो।
इसके तहत मवेशी की पहचान के विवरण के साथ यह भी स्पष्ट करना होगा कि मवेशी को बाजार में बिक्री के लिये लाने का उद्देश्य उसका वध नहीं है। साथ ही नए नियमों के तहत यह भी शर्त जोड़ी गई है कि कोई भी खरीदार मवेशियों की छह महीने के भीतर बिक्री नहीं कर सकेगा। कई राज्य सरकारें इस अधिसूचना का पुरजोर विरोध कर रही हैं।