मध्य प्रदेश में उग्र हुआ किसानों का आंदोलन, पुलिस फायरिंग में 5 की मौत, कर्फ्यू लगा

0

बीजेपी शासित राज्य मध्य प्रदेश सरकार से नाराज किसानों का आंदोलन उग्र होता जा रहा है। मंगलवार(6 जून) को मंदसौर में धरने पर बैठे किसानों पर पुलिस और सीआरपीएफ द्वारा फायरिंग कर दी, जिसमें पांच किसानों की मौत हो गई है। हंगामे के बाद मंदसौर में कर्फ्यू लगा दिया गया है। मुख्यमंत्री ने गोलीबारी में किसानों की मौत की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। हालांकि, मध्य प्रदेश के गृहमंत्री का कहना है कि मंदसौर में पुलिस ने कोई गोली नहीं चलाई। 

बता दें कि अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिलने पर नाराज किसानों ने पश्चिमी मध्य प्रदेश में अपनी तरह के पहले आंदोलन की शुरूआत करते हुए अनाज, दूध और फल-सब्जियों की आपूर्ति रोक दी है। जिस वजह से आम उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

मंगलवार को किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों के एक गुट ने वाहनों में तोड़फोड़ की। प्रदर्शन हिंसक होने के बाद हालात पर काबू पाने के लिए सीआरपीएफ और पुलिस की टीम ने मोर्चा संभाला। इस दौरान दोनों पक्षों में आपसी पथराव के बाद फायरिंग हुई। जिसमें पांच किसानों की मौत हो गई है और कई किसान घायल बताए जा रहे हैं।

गंभीर स्थिति को देखते हुए जिले में इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। साथ ही मंदसौर में इंटरनेट पर रोक लगा दी गई है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि किसानों द्वारा एक पुलिस चौकी और बैंक में भी आग लगाई गई। वहीं, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये की मदद देने की घोषणा की है। वहीं, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शिवराज सरकार पर निशाना साधा है। राहुल ने ट्वीट कर कहा है कि हमारे देश के किसानों के साथ युद्ध कर रही है सरकार।

बता दें कि मध्यप्रदेश में किसानों ने गुरुवार(1 जून) को शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कर्ज माफी और अपनी फसल के वाजिब दाम की मांग को लेकर किसानों की हड़ताल मंगलवार को छठे दिन भी जारी है। किसानों ने पश्चिमी मध्य प्रदेश में अपनी तरह के पहले आंदोलन की शुरूआत करते हुए अनाज, दूध और फल-सब्जियों की आपूर्ति रोक दी है। सोशल मीडिया के जरिए शुरू हुआ किसानों का आंदोलन 10 दिन तक चलेगा।

किसानों के आंदोलन की अगुवाई कर रहे संगठनों में शामिल मध्य प्रदेश किसान सेना के सचिव जगदीश रावलिया ने पीटीआई से कहा कि हमने सोशल मीडिया पर इस आंदोलन का आह्वान किया था और इससे किसान अपने आप जुड़ते चले गये। प्रदेश की मंडियों में भाव इस तरह गिर गये हैं कि सोयाबीन, तुअर (अरहर) और प्याज उगाने वाले किसान अपनी खेती का लागत मूल्य भी नहीं निकाल पा रहे हैं।

उन्होंने दावा किया कि अब तक इस आंदोलन को इंदौर, उज्जैन, देवास, झाबुआ, नीमच और मंदसौर जिलों के किसानों का समर्थन मिल चुका है। किसान नेता ने कहा कि हम अपने आंदोलन के जरिये उस सरकार को संदेश देते हुए जमीनी हकीकत से रू-ब-रू कराना चाहते हैं, जो किसानों की आय दोगुनी करने के वादे करती है।

 

Previous articleLalu Prasad, Jagannath Mishra appear in CBI court in fodder scam case
Next articleमोदी कुर्ता, गोमूत्र जैसे सामान बेचने के लिए RSS शुरू करने जा रही है ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल