‘आतंकवाद और नक्सलवाद के बजाय AAP को खत्म करना है मोदी सरकार की प्राथमिकता’

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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नोटिस जारी कर आम आदमी पार्टी(AAP) से विदेशों से मिल रहे चंदे का हिसाब मांगा है। इसके बाद एक नए आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। AAP के वरिष्ठ नेता और पार्टी प्रवक्ता संजय सिंह ने केंद्र की मोदी सरकार पर आतंकवाद और नक्सलवाद के बजाय AAP के खात्मे को अपनी प्राथमिकता बनाने का आरोप लगाते हुए शनिवार(6 मई) को कहा कि विदेशी चंदे के नाम पर केंद्र इस पार्टी का उत्पीड़न कर रहा है।

सिंह ने कहा कि कल(शुक्रवार) केंद्न सरकार ने विदेशी चंदे को लेकर कानून के उल्लंघन के संदेह पर AAP को एक नोटिस भेजा है, जबकि इसी सरकार के गृह मंत्रालय ने वर्ष 2015 में अदालत में एक शपथपत्र दाखिल करके कहा था कि विदेशी चंदे के मामले में AAP का रिकॉर्ड बेदाग है। सच्चाई यह है कि वेदांता से नियमविरद्ध तरीके से चंदा लेने के मामले में खुद बीजेपी और कांग्रेस के दामन दागदार है, मगर वे दोनों कानून को बदलकर बच निकलीं।

आतंकवाद और नक्सलवाद से देश परेशान

AAP नेता ने कहा कि कश्मीर आतंकवाद से और छत्तीसगढ़ नक्सलवाद से परेशान है, लेकिन केंद्र की प्राथमिकता इन दोनों को खत्म करने के बजाय AAP का खात्मा करने की है। बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को शुक्रवार को एक नोटिस जारी करके कहा था कि वह खुद को मिले विदेशी चंदे का विस्तृत विवरण पेश करे। केंद्र को शक है कि AAP ने विदेशी चंदा हासिल करने के लिए नियमों का उल्लंघन किया है।

योगी सरकार पर निशाना

सिंह ने उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की बदहाली की पराकाष्ठा होने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस मामले में राज्य की बीजेपी सरकार पूर्ववर्ती सपा सरकार की ‘पार्ट-टू’ की तरह काम कर रही है। पिछली ही सरकार की तरह टोल प्लाजा पर बीजेपी विधायक मारपीट कर रहे हैं। पुलिस पर हमले हो रहे हैं। यूपी में जल्द ही होने वाले स्थानीय निकाय के चुनावों के लिए पूर्वांचल और अवध क्षेत्र के 42 जिलों के पार्टी पदाधिकारियों की समीक्षा बैठक में हिस्सा लेने आए सिंह ने कहा कि अब उनकी पार्टी का फोकस उत्तर प्रदेश पर है।

गुजरात में चुनाव लड़ने के बारे में बाद में होगा फैसला

गुजरात विधानसभा चुनाव लड़ने के बारे में AAP नेता ने कहा कि इसके बारे में पार्टी बाद में फैसला करेगी। उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी स्थानीय निकायों की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने के बजाय उन सीटों पर ही मैदान में उतरेगी, जहां संगठन सबसे मजबूत है। वे सीटें कौन-कौन सी होंगी, इसका फैसला जिला संयोजक करेंगे।

 

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