“मैंने मौलवियों को नहीं बुलाया था”: वसीम जाफर ने उत्तराखंड क्रिकेट कोच रहते चयन में सांप्रदायिकता के आरोपों पर तोड़ी चुप्पी

0

उत्तराखंड क्रिकेट संघ से मतभेदों के कारण कोच के पद से इस्तीफा देने वाले भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज वसीम जाफर ने बुधवार को प्रदेश संघ के इन आरोपों को खारिज किया कि उन्होंने टीम में मजहब के आधार पर चयन की कोशिश की। भारत के घरेलू क्रिकेट के इतिहास में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले वसीम जाफर को क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के सचिव माहीम वर्मा के हवाले से कई मीडिया रिपोर्टों के बाद प्रतिक्रिया देने के लिए मजबूर होना पड़ा।भारत के लिए 31 टेस्ट खेल चुके जाफर ने कहा कि टीम में मुस्लिम खिलाड़ियों को तरजीह देने के उत्तराखंड क्रिकेट संघ के सचिव माहिम वर्मा के आरोपों से उन्हें काफी तकलीफ पहुंची है।

वसीम जाफर

जाफर ने अपने ट्वीट में लिखा, “1. मैंने जय बिस्टा की कप्तानी की सिफारिश इकबाल से नहीं की, लेकिन सीएयू के अधिकारियों ने इकबाल का समर्थन किया। 2. मैंने मौलवियों को आमंत्रित नहीं किया। 3. मैंने गैर-योग्य खिलाड़ियों के लिए चयनकर्ताओं-सचिवों के कॉस बायस का इस्तीफा दे दिया।”

जाफर ने मंगलवार को चयन में दखल और चयनकर्ताओं तथा संघ के सचिव के पक्षपातपूर्ण रवैए को लेकर इस्तीफा दे दिया था। जाफर ने कहा, ‘जो कम्युनल एंगल लगाया, वह बहुत दुखद है। उन्होंने आरोप लगाया कि मैं इकबाल अब्दुल्ला का समर्थन करता हूं और उसे कप्तान बनाना चाहता हूं जो सरासर गलत है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं जय बिस्टा को कप्तान बनाने वाला था, लेकिन रिजवान शमशाद और अन्य चयनकर्ताओं ने मुझे सुझाव दिया कि इकबाल को कप्तान बनाएं। वह सीनियर खिलाड़ी है, आईपीएल खेल चुका है और उम्र में भी बड़ा है। मैंने उनका सुझाव मान लिया।’

रणजी ट्रोफी में सर्वाधिक रन बना चुके जाफर ने इन आरोपों को भी खारिज किया कि टीम के अभ्यास सत्र में वह मौलवियों को लेकर आए थे। उन्होंने कहा, ‘उन्होंने कहा कि बायो बबल में मौलवी आए और हमने नमाज पढ़ी। मैं आपको बताना चाहता हूं कि मौलवी, मौलाना जो भी देहरादून में शिविर के दौरान दो या तीन जुमे को आए, उन्हें मैंने नहीं बुलाया था।’

जाफर ने कहा, ‘इकबाल अब्दुल्ला ने मेरी और मैनेजर की अनुमति जुमे की नमाज के लिए मांगी थी।’ उन्होंने कहा, ‘हम रोज कमरे में ही नमाज पढते थे लेकिन जुमे की नमाज मिलकर पढ़ते थे तो लगा कि कोई इसके लिए आएगा तो अच्छा रहेगा। हमने नेट अभ्यास के बाद पांच मिनट ड्रेसिंग रूम में नमाज पढ़ी। यदि यह सांप्रदायिक है तो मैं नमाज के वक्त के हिसाब से अभ्यास का समय बदल सकता था लेकिन मैं ऐसा नहीं हूं।’ उन्होंने कहा, ‘इसमें क्या बड़ी बात है। मेरी समझ में नहीं आया।’ (इंपुट: भाषा के साथ)

Previous articleराज्यसभा में पीएम मोदी के भावुक होने पर बोले शशि थरूर- काफी मंझा हुआ अभिनय था
Next article“I just hope karma is real”: Furious Indian Idol judge Vishal Dadlani lashes out at PM Modi after Washington Post report reveals planted evidence against Bhima Koregaon accused