मध्यप्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) की परीक्षाओं के पूर्व पर्यवेक्षक और भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी विजय बहादुर सिंह की संदिग्ध हालात में हुई मौत का रहस्य और गहराता जा रहा है।
RTI कार्यकर्ता अजय दुबे के मुताबिक विजय बहादुर का पोस्टमार्टम नहीं हुआ और न ही फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल का मुआयना किया। ऐसे में उनकी मौत की जांच का आधार क्या होगा, यह भी एक रहस्य है।

दुबे ने आईएएनएस को बताया कि उन्होंने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को शुक्रवार को लिखे एक पत्र में उन्हें अवगत कराया है कि विजय बहादुर की मौत के बाद वहां की रेलवे पुलिस ने पोस्टमार्टम नहीं कराया और फॉरेंसिक टीम दल ने भी घटनास्थल पर पहुंचकर वीडियो रिकार्डिग नहीं की ।
विजय बहादुर का शव पिछले दिनों ओडिशा के बेलपहाड़ रेलवे स्टेशन के पास रेलवे लाइन पर मिला था। बताया गया था कि पुरी-जोधपुर एक्सप्रेस की AC डिब्बे में पत्नी के साथ भोपाल से लौट रहे विजय बहादुर अचानक चलती ट्रेन से गिर गए, जिससे उनकी मौत हो गई।
विजय बहादुर व्यापम के पर्यवेक्षक रहे हैं और उनके खिलाफ दो परीक्षाओं में हुई गड़बड़ी संबंधी प्राथमिकी भी दर्ज है।
दुबे ने ओड़िशा के मुख्यमंत्री पटनायक को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि विजय बहादुर की मौत का मामला भी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया जाए, क्योंकि व्यापम घोटाले से जुड़े अन्य लोगों की मौत की जांच सीबीआई कर ही रही है।
विजय बहादुर की मौत व्यापम घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के बाद इससे जुड़े व्यक्ति की मौत की यह पहली घटना है। इससे पहले इस घोटाले और इसकी जांच से जुड़े 48 लोगों की मौत हो चुकी है। रहस्यमय ढंग से इतनी मौतें हो जाने के कारण विपक्षी कांग्रेस मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ‘शवराज’ नाम दे चुकी है।