सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 15 जून को एक टीवी कार्यक्रम के दौरान सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणियों को लेकर दर्ज मामलों के संबंध में ‘न्यूज 18 इंडिया’ के एंकर अमीश देवगन (Amish Devgan) को किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से मिले संरक्षण की अवधि गुरुवार को 31 अगस्त तक के लिए बढ़ा दी। बता दें कि, सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के खिलाफ कथित अपमानजनक बयान देने वाले अमीश देवगन पर विभिन्न राज्यों में कई प्राथमिकी दर्ज करवाई गई हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि देवगन के खिलाफ मध्य प्रदेश के जबलपुर में दर्ज एक प्राथमिकी को उत्तर प्रदेश के नोएडा में स्थानांतरित कर दी गयी है। पीठ ने इस मामले की वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान देवगन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा और अधिवक्ता मृणाल भारती से कहा कि अब एंकर को अपनी याचिका में संशोधन करना होगा। पीठ ने इस पर सुनवाई 31 अगस्त के लिए स्थगित कर दी।
इस मामले में अब यूपी सरकार को देवगन की याचिका पर अपना जवाब दाखिल करना होगा। देवगन ने इस मामले में दर्ज प्राथमिकी रद्द करने, जांच पर रोक लगाने और सूफी संत के बारे में उनकी कथित टिप्पणियों की वजह से उनके खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से संरक्षण देने का अनुरोध किया है। पीठ ने सुनवाई स्थगित करते हुए स्पष्ट किया कि देवगन को प्राप्त अंतरिम संरक्षण जारी रहेगा।
शीर्ष अदालत ने इस मामले में देवगन को 26 जून को अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था जिसकी अवधि बाद मे आठ जुलाई को छह अगस्त तक के लिए बढ़ा दी थी। अंतरिम संरक्ष्ण प्रदान करने के साथ ही 15 जून के कार्यक्रम के संदर्भ में उनके खिलाफ दर्ज कराई गई तमाम प्राथमिकी में जांच पर भी रोक लगा दी थी।
टीवी कार्यक्रम ‘आर-पार’ में सूफी संत के बारे में की गई टिप्पणियों को लेकर देवगन के खिलाफ राजस्थान, महाराष्ट्र और तेलंगाना में पांच प्राथमिकियां दर्ज कराई गई थीं। हालांकि, देवगन ने बाद में ट्विट करके इन टिप्पणियों के लिये क्षमा याचना करते हुए कहा था कि वह मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिलजी का जिक्र कर रहे थे लेकिन गलती से चिश्ती का नाम ले लिया।