जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के बागी नेता शरद यादव ने राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराये जाने के बाद कहा कि, उन्हें लोकतंत्र की खातिर बोलने की सजा मिली है। यादव ने राज्यसभा के कल के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में आज कहा कि उन्हें बिहार में बने महगठबंधन को तोड़ने संबंधी अपनी पार्टी के फैसले की खिलाफत करने के कारण संसद की सदस्यता गंवानी पड़ी है।
राज्यसभा की सदस्यता रद्द होने पर शरद यादव ने ट्वीट कर कहा कि, मुझे राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया है। बिहार में राजग को हराने के लिए बने महागठबंधन को 18 महीने में ही सत्ता में बने रहने के मकसद से राजग में शामिल होने के लिए तोड़ दिया गया। अगर इस अलोकतांत्रिक तरीके के खिलाफ बोलना मेरी भूल है तो लोकतंत्र को बचाने के लिए मेरी ये लड़ाई जारी रहेगी।
I am disqualified from Rajya Sabha as Mahagathbandan which was formed to defeat NDA in Bihar & after 18 months to break it & joining NDA to remain in power & if to speak against this undemocratic style is my fault I will continue to fight to save democracy.
— SHARAD YADAV (@SharadYadavMP) December 5, 2017
राज्यसभा के सभापति ने जदयू से राज्यसभा सदस्य शरद यादव और अली अनवर को सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था। राज्यसभा में जदयू संसदीय दल के नेता आरसीपी सिंह ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण यादव और अनवर की सदस्यता रद्द करने की सभापति से अनुशंसा की थी।
सभापति ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कल देर शाम यह फैसला दिया है। न्यूज़ एजेंसी भाषा की ख़बर के मुताबिक, शरद गुट के नेता जावेद रजा ने कहा कि उन्हें कल देर रात इस फैसले की प्रति मिली है। इसके कानूनी पहलुओं पर आज विशेषग्यों से विचार विमर्श कर आगे की रणनीति तय की जाएगी।
वहीं, सदस्यता रद्द होने पर अली अनवर ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी उस वक्त मिली जब वे राजकोट में एक मीटिंग में शामिल थे। उन्होंने कहा कि वे शरद यादव से बात करेंगे और फैसला साथ ही लिया जाएगा।
बता दें कि, शरद यादव को पिछले वर्ष सदन के लिए चयनित किया गया था और उनका कार्यकाल 2022 में खत्म होने वाला था। वहीं, अनवर का कार्यकाल अगले वर्ष की शुरुआत में खत्म होने वाला था।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महागठबंधन छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद से ही शरद यादव उनसे नाराज चल रहे थे।
पार्टी नेताओं के खिलाफ जाकर उन्होंने राजद प्रमुख लालू प्रसाद की ‘बीजेपी भगाओ देश बचाओ’ रैली में हिस्सा लिया था और उसके मंच से नीतीश कुमार पर निशाना भी साधा था।