पीएम मोदी ने पिछले साल 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा की थी, नोटबंदी के कदम के समर्थन में सरकार ने कहा था कि इससे कालेधन, भ्रष्टाचार और नकली मुद्रा पर लगाम लगेगी। लेकिन नोटबंदी के बाद केंद्र सरकार द्वारा डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने से बैंकों को 3,800 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। यह खुलासा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से जारी की गई एक रिपोर्ट में हुआ है।
एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी के बाद सरकार ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए बैंकों से अपनी पाइंट ऑफ सेल(पीओएस) की संख्या को बढ़ाने को कहा था। इसके बाद बैंकों ने अपनी पीओएस मशीन की संख्या दोगुनी कर दी थी। अगर मशीनों की बात करे तो मार्च 2016 में इनकी संख्या 13.8 लाख थी, जो कि जुलाई 2017 में बढ़कर 28.4 लाख हो गई।
ख़बरों के मुताबिक, बैंकों ने मशीन को लगाने पर काफी पैसा खर्च किया, लेकिन उसके अनुपात में प्रॉफिट नहीं आया। रिपोर्ट की मानें तो देश में इस दौरान डेबिट और क्रेडिट कार्ड के जरिए लेनदेन में जोरदार इजाफा आया है। लेकिन कम एमडीआर, कार्ड का कम इस्तेमाल, कमजोर टेलिकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे कारणों से बैंकों को भारी घाटा हुआ है।
एसबीआई के अनुमानों के मुताबिक, बैंक लेनदेन से पीओएस टर्मिनल्स पर 4,700 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। इसमें से यदि एक ही बैंक में किए गए पीओएस ट्रांजैक्शंस को घटा दें तो यह घाटा 3,800 करोड़ रुपए होगा।
साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि, सरकार ने पीओएस इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं और बैंकों ने भी अधिक से अधिक पीओएस मशीनों को इंस्टॉल किया है लेकिन लंबे समय की बात करें तो उद्देश्य तभी पूरा होगा जब पीओएस से होने वाले ट्रांजैक्शंस एटीएम को पीछे छोड़ देंगे, जो अभी मुश्किल लगता है।
ख़बरों के मुताबिक, इस रिपोर्ट को तैयार करने वालीं एसबीआई ग्रुप की चीफ इकॉनमिक अडवाइजर सौम्या कांति घोष ने कहा, ‘हमारा मानना है कि बैंकों द्वारा डिवेलप किए गए पॉइंट ऑफ सेल(PoS) इन्फ्रास्ट्रक्चर को पूरे मन से सपॉर्ट करना होगा।’ पीओएस मशीन का इस्तेमाल डेबिट या क्रेडिट कार्ड से पैसे काटने के लिए किया जाता है।