आंदोलनकारी किसानों और केंद्र सरकार के बीच जारी गतिरोध के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदंबरम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है। पी.चिदंबरम ने शनिवार को प्रधानमंत्री द्वारा विपक्ष पर ‘झूठ फैलाने’ का आरोप लगाने के बाद उन पर निशाना साधा है।

एक बयान में चिदंबरम ने कहा, “प्रधानमंत्री ने एक बार फिर विपक्ष पर ‘झूठ फैलाने’ का आरोप लगाया है। यहां तीन तथाकथित झूठ हैं जिन पर शायद वह टिप्पणी करना चाहे- किसानों के विरोध का समन्वय करने वाली एआईकेएससीसी ने कहा है कि किसान 900 रुपये प्रति क्विंटल पर धान बेच रहे हैं, हालांकि एमएसपी 1,870 रुपये प्रति क्विंटल है। क्या यह झूठ है?”
उन्होंने आगे कहा, “दिल्ली की एक अदालत ने तब्लीगी जमात के सदस्यों को बरी करते हुए कहा है कि यह संभावना है कि आरोपियों को एमएचए के निर्देशों पर दुर्भावनापूर्वक मुकदमा चलाने के लिए उठाया गया था। क्या यह झूठ है? सीबीआई और उप्र पुलिस के बीच हाथरस पीड़िता के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के लिए जिन पर आरोप लगाए गए उन्हें लेकर अंर्तविरोध है। क्या यह झूठ है?”
2. दिल्ली की एक अदालत ने जो तब्लीगी जमात के सदस्यों को बरी कर दिया, ने कहा कि यह संभव है कि आरोपियों को " गृह मंत्रालय के निर्देशों पर दुर्भावनापूर्वक मुकदमा चलाने के लिए उठाया गया था"। क्या वह झूठ है?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) December 19, 2020
पूर्व केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी मोदी के उस दावे के जवाब में आई है जो उन्होंने विपक्ष पर लगाया था कि वे प्रदर्शनकारी किसानों को भड़का रहे हैं और कहा था कि प्रतिद्वंद्वी दल सरकार पर हमला करने के लिए किसानों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ‘किसान महासम्मेलन’ को संबोधित करते हुए, मोदी ने कहा था, “मैं सभी राजनीतिक दलों को बताना चाहता हूं कि वे राजनीतिक श्रेय ले सकते हैं, मुझे श्रेय नहीं चाहिए। मैं केवल यह चाहता हूं कि भारतीय किसानों का जीवन आसान हो, उनकी समृद्धि और खेती में आधुनिकता आए। उन्हें गुमराह करना और भ्रमित करना बंद करो।” किसी भी पार्टी का नाम लिए बिना विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि उन्होंने महसूस किया है कि उनकी सरकार द्वारा कृषि कानूनों में किए गए सुधारों से उन्हें पीड़ा हुई है कि मोदी ने वो कर दिया जो वे कई सालों में नहीं कर पाए थे।
गौरतलब है कि, मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के आंदोलन को लगभग हर तरफ से समर्थन मिल रहा है। विरोध कर रहे किसानों के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार विपक्ष के साथ-साथ अपनी सहयोगी पार्टियों के भी निशाने पर आ गई है। कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के अंदरूनी इलाकों से आए हजारों किसान देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से डटे हुए हैं। किसानों की मांग है कि, सरकार इन कृषि कानूनों को वापस लें। (इंपुट: आईएएनएस के साथ)