जुनैद हत्याकांड: आरोपियों को जमानत मिलने के बाद जुनैद के पिता को आया हार्ट अटैक, हालत स्थिर

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दिल्ली से मथुरा जा रही ईएमयू ट्रेन में मामूली विवाद के बाद इस साल 22 जून को हरियाणा के बल्लभगढ़ निवासी मुसलमान युवक जुनैद खान (15) की भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड के बाद भारत सहित विश्व भर में रह रहे भारतीय मुसलमान ने अपने-अपने तरीके से विरोध कराया था। यहां तक की इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी बयान देना पड़ा। पीएम मोदी ने कहा था कि गो भक्ति के नाम पर लोगों को मारना ठीक नहीं है। उस दौरान सभी राजनीतिक दलों के नेता जुनैद के परिजन से मिल उन्हें ढांढस बंधाया व हर संभव मदद का आश्वासन दिया था। लेकिन इस वक्त जुनैद का परिवार किन मुश्किलों का सामना कर रहा है, इसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं। जी हां, जुनैद के पिता जलालुद्दीन खान सोमवार रात को अस्पताल के आईसीयू में जिंदगी और मौत से जूझ रहे थे। हालांकि इस वक्त सर्जरी होने के बाद उनकी हालत स्थिर बनी हुई है।

दरअसल, जलालुद्दीन को सोमवार (18 सितंबर) रात अचानक हार्ट अटैक आने के बाद उन्हें नोएडा के सैक्टर 12 स्थित मेट्रो अस्पताल में भर्ती कराया गया। अफसोस की बात यह है कि जुनैद की हत्या के दौरान मदद का भरोसा देने वाले नेताओं के पास आज इतना भी समय नहीं है कि उनके परिजनों से मिलकर जलालुद्दीन खान का हालचाल पूछ ले।

इतना ही नहीं जुनैद की मां का कहना है कि जिन लोगों ने इनाम देने की घोषणा की थी अभी तक किसी से कोई मदद नहीं मिली है। यहां तक की सरकारी मदद भी नहीं मिली है। इलाज के बाद अब उनकी स्थिति पहले से बेहतर है। उनके इलाज में करीब 2 लाख रुपये से अधिका का खर्च आया है, जिसे सोमवार रात तक अभी भुगतान नहीं किया गया था।

आरोपियों को जमानत मिलने के बाद आया हार्ट अटैक

जुनैद के परिवार का आरोप है कि इस हत्याकांड में शामिल आरोपियों को जमानत मिलने के बाद जलालुद्दीन बहुत परेशान रहते थे। परिजनों का आरोप है कि इस मामले में इंसाफ नहीं मिलने की वजह से जुनैद के पिता को दिल का दौरा पड़ा है। दरअसल, इस मामले में गिरफ्तार हुए मुख्य आरोपी चंद्रप्रकाश उर्फ चंदर सहित चार आरोपियों को जमानत मिल चुकी है।

जिस वजह से अब जुनैद के परिवार को न्याय मिलना मुश्किल लग रहा है। परिजनों का कहना है कि इस जघन्य कांड में आरोपियों की जमानत हो जाना, पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है। राज्य सरकार भी इस मामले में गंभीर दिखाई नहीं पड़ रही है। अगर प्रदेश सरकार इस मामले में गंभीर होती, तो आरोपियों को जमानत नहीं मिल सकती थी।

दरअसल, 22 जून 2017 को दिल्ली से मथुरा जा रही ईएमयू ट्रेन में ईद की खरीदारी कर के बल्लभगढ़ अपने घर जा रहे असावटी स्टेशन पर जुनैद खान (15) की ट्रेन में चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना में जुनैद के दो भाई भी गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे। इस हत्याकांड के विरोध में देश के कई राज्यों में ‘नॉट इन माई नेम’ नाम से प्रदर्शन हुए थे, जिनमें हजारों लोगों ने भाग लिया था।

 

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