नोटबंदी के फेल होने बाद देश की गिरती विकास दर ने सरकार को आर्थिक समीक्षा करने पर मजबूर कर दिया है। बैंकों की लाइनों में लगे हुए लोग भले ही अपना दर्द भूल चुके हो लेकिन आज हालात बदलते हुए नजर आ रहे है।
PM मोदी के घोर प्रशंसकों में बैचेनी दिख रही है। कालेधन पर लगाम लगाने की बात, गायों की रक्षा करने की बात या दूसरे वादें सब केवल शब्दों की जादूगरी साबित हो रही है।
ऐसा मानना है PM मोदी के भक्तों का। आमतौर पर प्रधानमंत्री के प्रशंसक खुद को उनका ‘भक्त’ कहलाना पसन्द करते है। ऐसे में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें एक ‘भक्त’ PM मोदी से बहुत ही शांत होकर अपनी बात रखता है।
‘भक्त’ कहता है कि मैंने घंटों लाइनों में लगकर लोगों का समझाया था कि इस नोटबंदी से कालेधन पर लगाम लगेगी और देश का विकास होगा। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ आज लोग मुझे पकड़कर पुछते है कि क्या हुआ कालेधन का?
इसके बाद PM मोदी का यह ‘भक्त’ अन्य मुद्दों को भी उठाता है जिसे PM मोदी ने चुनावों से पहले देश से वादे के तौर पर किया था लेकिन ज़मीनी तौर पर ऐसा कुछ न होने पर ‘भक्त प्रजाति’ में बैचेनी नजर आ रही है।
आपको बता दे कि प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का ऐलान करते वक्त इसे भ्रष्टाचार, काले धन और जाली नोटों के खिलाफ जंग बताया था। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के बाद सरकार के इस दावे पर सवाल उठ रहे हैं। नोटबंदी से पहले 15.44 लाख करोड़ की कीमत के 1000 और 500 के नोट प्रचलन में थे। इनमें से कुल 15.28 लाख करोड़ रुपए की कीमत के नोट बैंकों में वापस आ गए। साल 2016-17 के दौरान 632.6 करोड़ 1000 रुपए के नोट प्रचलन में थे, जिनमें से 8.9 करोड़ नोट सिस्टम में लौटे।
काले धन पर सरकार के अकुंश लगाने की बात आज एक जुमला साबित हो रही है। पीएम मोदी ने जोरदार तरीके से घोषणा करते हुए कहा था कि कालेधन को जमा करने वालों को चैन की नींद नहीं आएगी। लेकिन अब रिजर्व बैंक की रिपोर्ट आने के बाद सरकार का यह दावा खुद ब खुद खारिज हो जाता है। अब सरकार का इस मुद्दे पर बचाव करते हुए कहना है कि नोटबंदी के फैसले का कालेधन को लगाम लगाने का उद्देश्य तो था ही नहीं।