नोटबंदी के बाद लगातार गिरती जीडीपी और चरमरा रही अर्थव्यवस्था के कारण मोदी सरकार अब विपक्ष के साथ-साथ अपने घर में भी घिरती नजर आ रही है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने बुधवार को नोटबंदी और गिरती जीडीपी के मुद्दे पर मोदी सरकार और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को आड़े हाथों लिया।
NDTVयशवंत सिन्हा द्वारा अर्थव्यवस्था की स्थिति पर उठाए गए सवालों से बुधवार(27 सितंबर) को मोदी सरकार बैकफुट पर थी। हालांकि अब, यशवंत सिन्हा को जवाब देने के लिए सरकार की तरफ कोई और नहीं बल्कि उन्ही के बेटे जयंत सिन्हा ने मोर्चा संभाला है। अपने पिता को जवाब देते हुए सिन्हा ने कहा कि हम एक नई मजबूत अर्थव्यवस्था बना रहे हैं, जो कि लंबे समय में न्यू इंडिया के लिए फायदेमंद होगी।
मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर पिता यशवंत सिन्हा के लेख के जवाब में नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने भी उन्हीं के तर्ज पर अंग्रेजी अखबार ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ में एक लेख लिखा है। इस लेख में उन्होंने अपने पिता की राय को खारिज करते हुए मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों का जमकर बचाव किया है।
अपने लेख में जयंत सिन्हा ने लिखा है, ‘जीएसटी, नोटबंदी और डिजिटल पेमेंट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए गेम चेंजिंग प्रयास है। अभी तक टैक्स नहीं चुका रहे सैक्टर को टैक्स की श्रेणी में लाया जा रहा है। लंबी अवधि में टैक्स कलेक्शन बढ़ेगा और राज्यों के लिए ज्यादा संसाधन उपलब्ध होंगे। अर्थव्यवस्था में सुधार होगा और जीडीपी दर बढ़ेगी। अब सभी ट्रांजैक्शन डिजिटल हो गए हैं।
उन्होंने आगे लिखा है कि वर्तमान अर्थनीति नए भारत के निर्माण की दिशा में उठाया गया कदम है। पारदर्शी, प्रतियोगी और प्रगतिशील अर्थव्यवस्था के लिए बदलाव हो रहे हैं। एक या दो तिमाही के नतीजों से अर्थव्यस्था का आकलन ठीक नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि हाल ही में जो लेख लिखे गए हैं, उसमें तथ्यों की कमी रही है।
यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार पर बोला हमला
बता दें कि जयंत के पिता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने बुधवार(27 सितंबर) को नोटबंदी और गिरती जीडीपी के मुद्दे पर सरकार और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को आड़े हाथों लिया है। अंग्रेजी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में I need to speak up now (मुझे अब बोलना ही होगा) शीर्षक से लिखे लेख में वित्त मंत्री अरुण जेटली पर करारा हमला बोलते हुए कहा है कि वित्त मंत्री ने अर्थव्यवस्था का ‘कबाड़ा’ कर दिया है।
उन्होंने नोटबंदी को सुस्त अर्थव्यवस्था की आग में घी डालने वाला बताया है। साथ जीएसटी में भी खामियां बताईं है।सिन्हा ने कहा कि पीएम मोदी कहते हैं कि उन्होंने गरीबी को काफी नजदीक से देखा है, लेकिन ऐसा लगता है कि उनके वित्तमंत्री इस तरह का काम में लगे हैं कि वह सभी भारतीयों को गरीबी काफी करीब से दिखाएंगे।
जेटली पर हमला बोलते हुए बीजेपी नेता ने कहा कि मैं अपने राष्ट्रीय कर्तव्यों में असफल रहूंगा यदि मैंने अभी भी वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ नहीं बोलूंगा, जिन्होंने अर्थव्यवस्था का यह हाल बना दिया। उन्होंने कहा कि लगातार गिरती जीडीपी और चरमा रही अर्थव्यवस्था के कारण सरकार की मुश्किलें बढ़ रही हैं।
सिन्हा ने कहा कि आज के समय में ना ही नौकरी मिल रही है और ना विकास तेज हो रहा है। इनवेस्टमेंट घट रही है और साथ में जीडीपी भी गिर रही है। उन्होंने कहा कि जीएसटी को ठीक तरीके से लागू नहीं किया गया, जिसके कारण नौकरी और व्यापार पर काफी फर्क पड़ा है।
यशवंत सिन्हा के बयान को कांग्रेस ने बनाया हथियार
यशवंत सिन्हा ने अर्थव्यवस्था को लेकर वित्त मंत्री और मोदी सरकार पर सवाल उठाए तो विपक्ष को भी हमले का एक नया हथियार मिल गया। पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने पहले ट्वीट कर सिन्हा के लेख को ‘सच्चाई’ करार देते हुए मोदी सरकार पर हमला बोला।
चिदंबरम ने एक के बाद एक किए कई ट्वीट में कहा कि, ‘यशवंत सिन्हा ने सत्ता के सामने सच कहा है। क्या सत्ता सच्चाई को स्वीकार करेगी कि अर्थव्यवस्था डूब रही है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सत्ता क्या करती है, अंत में सत्य की जीत होगी।’ उन्होंने सिन्हा की इस बात को दोहराया कि वास्तव में जीडीपी ग्रोथ 3.7 फीसदी या इससे कम है।
इसके बाद एक बार फिर चिदंबरम ने शाम करीब चार बजे कांग्रेस मुख्यालय से प्रेस कॉन्फेंस कर इकोनॉमी में आई गिरावट को लेकर मोदी सरकार को घेरा। चिदंबरम ने कहा, ‘कांग्रेस पिछले 18 महीनों से इकोनॉमी की गंभीर कमजोरियों को उजागर कर रही है।’ उन्होंने कहा कि, ‘हमें खुशी है कि यशवंत सिन्हा ने सरकार के बारे में हमारी आलोचनाओं को दोहराया है।’
साथ ही पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि मैं देशभर में घूमता हूं, जहां लोग अब कह रहे हैं कि अच्छे दिन तो आए नहीं, ये बुरे दिन कब जाएंगे? उन्होंने कहा कि मेरी सबसे अपील है, खास कर उन लोगों से जो अर्थव्यवस्था के बारे में जानते हैं, उन्हें बिना डर के बोलना और लिखना चाहिए।