बाबरी मस्जिद केस के मुस्लिम याचिकाकर्ता इक़बाल अंसारी ने विश्व हिन्दू परिषद् की ओर से अपने जान को खतरा बताया है और कहा है कि वो और उनका परिवार अयोध्या छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे। उनका ये बयान विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा अयोध्या में इस महीने बुलाई गयी रैली के मद्देनज़र आया है।
अंसारी ने कहा , ” 1992 में (बाबरी मस्जिद गिराए जाने की घटना के समय) हमारे घरों को जला दिया गया था। अगर 1992 की तरह भीड़ यहां फिर से इकठ्ठा हुई तो मुझे और अयोध्या के मुसलामानों को सुरक्षा मुहैया कराई जानी चाहिए। अगर मेरी सुरक्षा नहीं बधाई गयी तो मैं 25 नवंबर से पहले कही और पलायन कर जाऊंगा। ”
दरअसल भाजपा और दूसरी हिंदूवादी ताक़तें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या मामले का निपटारा चाहती हैं क्यूंकि उन्हें लगता हैं कि इससे चुनाव से पहले अयोध्या में राम मंदिर बनाने का उनकी योजना को फायदा पहुंचेगा। और अगर चुनाव से पहले उस जगह पर राम बंदिर बनने का काम शुरू हो गया जहाँ 6 दिसंबर 1992 तक बाबरी मस्जिद कड़ी थी तो उन्हें लोक सभा चुनाव में हिन्दुओं का वोट मिल जाएगा।
उत्तर प्रदेश में इस समय योगी आदित्यनाथ की सरकार है इस सरकार द्वारा विश्व हिन्दू प्रशिद की रैली को रोकने का कोई इरादा नहीं है।
हिंदूवादी चरमपंथियों ने जिनकी अगवाई भाजपा के वरिष्ठ नेता कर रहे थे 6 दिसंबर 1992 को सोलहवीं सदी की बाबरी मस्जिद को अयोध्या में शहीद कर दिया था। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जल्दी सुनवाई करने से ये कहकर मना कर दिया था कि ये अदालत की प्राथमिकता नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट से पूर्व मुख्या न्यायाधीश दीपक मिश्रा के जाने के बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार केलिए मनमाना फैसला हासिल करना मुश्किल हो गया है। मौजूदा मुख्या न्यायाधीश रंजन गोगोई उन चार सुप्रीम कोर्ट के जजों में शामिल थे जिन्होंने इस साल जनवरी में अप्रत्याशित प्रेस कांफ्रेंस कर अदालत की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न खड़े किये थे।