प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 8 नवंबर को 500 और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने की आश्चर्यजनक घोषणा के कुछ दिनों बाद ही सरकारी तौर पर डिजिटल लेनदेन को आक्रामक रूप से प्रोत्साहित किया गया था।
भारतीय रिजर्व बैंक की जारी रिपोर्ट के बाद विपक्षी दलों ने सरकार पर अपने हमलों को तेज कर दिया क्योंकि केवल एक प्रतिशत मुद्रा का वापस न लौटने पर सरकार को घेरा जा रहा कि जिससें कहा गया कि नोटबंदी के बाद क्या हासिल हुआ जबकि सारी रकम ज्यूं की त्यूं वापस आ गई। सरकार को अपने लक्ष्यों से हटने और उन्हें पूरा न कर पाने के कारण कड़ी आलोचना का सहना पड़ा।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में यह बताया गया कि नोटबंदी के दौरान कुल 99% बैन किए गए नोट बैंकों में जमा हो गए। इसका मतलब हुआ कि सिर्फ 1.4% हिस्से को छोड़कर बाकी सभी 1000 रुपए के नोट सिस्टम में लौट चुके हैं।
प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का ऐलान करते वक्त इसे भ्रष्टाचार, काले धन और जाली नोटों के खिलाफ जंग बताया था। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के बाद सरकार के इस दावे पर सवाल उठ रहे हैं। नोटबंदी से पहले 15.44 लाख करोड़ की कीमत के 1000 और 500 के नोट प्रचलन में थे। इनमें से कुल 15.28 लाख करोड़ रुपए की कीमत के नोट बैंकों में वापस आ गए। साल 2016-17 के दौरान 632.6 करोड़ 1000 रुपए के नोट प्रचलन में थे, जिनमें से 8.9 करोड़ नोट सिस्टम में लौटे।
काले धन पर सरकार के अकुंश लगाने की बात आज एक जुमला साबित हो रही है। पीएम मोदी ने जोरदार तरीके से घोषणा करते हुए कहा था कि कालेधन को जमा करने वालों को चैन की नींद नहीं आएगी। लेकिन अब रिजर्व बैंक की रिपोर्ट आने के बाद सरकार का यह दावा खुद ब खुद खारिज हो जाता है। अब सरकार का इस मुद्दे पर बचाव करते हुए कहना है कि नोटबंदी के फैसले का कालेधन को लगाम लगाने का उद्देश्य तो था ही नहीं।
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, डिजिटल लेनदेन से संबंधित केंद्रीय बैंक द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि पूर्व की नोटबंदी डिमाॅनीटाइजेशन के स्तरों को भी गिरा दिया है। जबकि इसके बाद लेनदेन की संख्या और उसके मूल्य के संदर्भ में राजनैतिक स्तर पर डिजिटल लेनदेन के प्रचार प्रसार को बहुत बढ़ाया गया।
भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया है कि वित्त वर्ष 2016-17 में कुल 7,62,072 जाली नोट पकड़े गए, जो वित्त वर्ष 2015-16 में पकड़े गए 6.32 जाली नोटों की तुलना में 20.4 प्रतिशत अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वित्त वर्ष में नोटबंदी के बाद 500 रुपये और 1000 रुपये के जाली नोट तुलनात्मक रूप से अधिक संख्या में पकड़े गए। ऐसे में अब नोटबंदी के बाद पकड़े गए नकली नोटों की संख्या पिछले साल से कुछ ही ज़्यादा है। आतंकवाद को लगाम लगाने का सरकार का यह दावा भी यहां आकर खारिज हो जाता है।