सपा के बाद अब कांग्रेस के प्रवक्ता भी टीवी चैनलों पर डिबेट में नहीं दिखेंगे, पढ़ें विपक्ष के इस फैसले पर पत्रकारों की राय

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लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस में आत्ममंथन का दौर जारी है। एक ओर जहां राहुल गांधी पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को राजी नहीं हो रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने अपने सभी प्रवक्ताओं को एक महीने तक किसी भी टीवी डिबेट्स में शामिल न होने का सख्त निर्देश दिया है। कांग्रेस ने गुरूवार को कहा कि उसने अपने प्रवक्ताओं को एक महीने तक टेलीविजन चैनलों पर नहीं भेजने का फैसला किया है।

(AFP file photo)

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘कांग्रेस ने फैसला किया है कि वह अपने प्रवक्ताओं को एक महीने तक टीवी चैनलों के कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए नहीं भेजेगी।” उन्होंने कहा, ‘‘सभी मीडिया चैनलों/संपादकों से आग्रह किया जाता है कि वे अपने शो में कांग्रेस प्रतिनिधियों को शामिल ना करें।”

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पार्टी मोदी सरकार पर शुरुआती एक महीने तक किसी भी टीका-टिप्पणी और आलोचना से बचना चाहती है, इसलिए यह फैसला किया गया है। माना जा रहा है कि कांग्रेस को लगता है कि अभी हाल ही में चुनाव हुए हैं और देश का मूड मोदी के साथ है, लिहाजा अभी से सरकार का विरोध करना ठीक नहीं होगा। इसका जनता में अच्छा संदेश नहीं जाएगा, इससे अच्छा है कि अपने प्रवक्ताओं को ही टीवी चैनलों पर भेजने से रोक दिया जाए।

इससे पहले समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी अपने प्रवक्ताओं की सूची रद्द कर उन्हें समाचार चैनलों पर होने वाली बहसों में जाने से रोक दिया था। पार्टी ने स्पष्ट रूप से निर्देश दे दिया है कि कोई भी मनोनित पैनलिस्ट अब मीडिया के सामने बिना अनुमति के पक्ष नहीं रखेगा। कांग्रेस और सपा ने ऐसे समय में प्रवक्ताओं को टीवी डिबेट में नहीं भेजने का फैसला किया है जब उसे लोकसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है। दरअसल, विपक्षी पार्टियां कुछ मीडिया संस्थानों पर निष्पक्ष नहीं होने का आरोप लगाती रही है।

कुछ ने किया समर्थन तो कुछ ने किया स्वागत

कांग्रेस के इस फैसले पर सोशल मीडिया पर तमाम बड़े पत्रकारों की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ ने कांग्रेस के इस फैसले का विरोध किया है तो कुछ ने समर्थन। आजतक की मशहूर एंकर अंजना ओम कश्यप ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए लिखा है, “हिंदी पत्रकारिता दिवस पर टीवी डिबेट के लिए कांग्रेस पार्टी की ये असहिष्णुता! आई मीन इंटोलरेंस!” एनडीटीवी ने उमाशंकर ने तंज कसते हुए ट्वीट किया, “लगे हाथ सूत्रों पर भी एकाध महीने की पाबंदी लगा दें।” वहीं, इंडिया टुडे के वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट कर कथित भाजपा समर्थक कुछ चैनलों पर निशाना साधा है, हालांकि, उनका कहना है कि सभी मीडिया संस्थानों का एक साथ बहिष्कार करने से कोई हल निकलने वाला नहीं है।

आजतक के रोहित सरदाना ने लिखा, “पिछले पांच साल से मोदी सरकार के ख़िलाफ़ कांग्रेस की लड़ाई का एक बड़ा नारा- अभिव्यक्ति की आज़ादी – केंद्रित रहा है। लेकिन चुनाव हारते ही कांग्रेस ने सबसे पहले अभिव्यक्ति का ही गला घोंटा, TV डिबेट्स में प्रवक्ताओं को ना भेजने का ऐलान कर के।” रोहित के इस ट्वीट पर पलटवार करते हुए पूर्व आप नेता और पत्रकार आशुतोष ने लिखा, “”सचाई ये है कि टीवी डिबेट्स में ज़्यादातर चैनेल/एंकर सिर्फ कांग्रेस, राहुल, विपक्ष का ही मान मर्दन करते हैं। मोदी/सरकार के गुणगान का कोई भी मौक़ा नहीं छोड़ा जाता। जब तक LEVEL PLAYING FIELD ना हो कांग्रेस के साथ साथ विपक्ष को भी टीवी डिबेट में नहीं आना चाहिये।””

देखें, पत्रकारों की प्रतिक्रियाएं:

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